बिहार सरकार में कई बार मंत्री रहे नरेंद्र सिंह का आज निधन हो गया. पिछले दिनों उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी स्थिति काफी नाजुक बनी हुई थी.
स्वर्गीय सिंह की प्रदेश में प्रखर वक्ता और कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में पहचान थी. अपने छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे नरेंद्र सिंह पहली बार वर्ष 1985 में चकाई विधानसभा से ही जीत हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1990 में पुन: विधानसभा चुनाव जीतकर स्वास्थ्य विभाग के मंत्री पद को सुशोभित किया.
वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जमुई और चकाई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर दोनों विधानसभा से जीत हासिल की. वर्ष 2005 से वर्ष 2014 तक विधान परिषद सदस्य रहे. इस दौरान उन्होंने प्रदेश में कृषि मंत्री रहते हुए पूरे प्रदेश में कृषि और किसानों की खुशहाली को लेकर काम किया.
इनके अच्छे कार्यकलाप को लेकर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कृषि कर्मण पुरुस्कार देकर इन्हें सम्मानित करने का काम किया था. नरेंद्र सिंह के पिता कृष्ण सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे तथा बिहार सरकार में मंत्री भी रहे.
स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले श्रीकृष्ण सिंह ने राजनीतिक जीवन में भी परचम लहाराया था. अंग्रेजों के द्वारा उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने वालों को पांच हजार रुपया इनाम देने की घोषणा की गयी थी. देश को आजादी दिलाने के बाद वे वर्ष 1962 में झाझा विधानसभा से विधायक बने.
इसके बाद वर्ष 1967, वर्ष 1969 में पुन: चुनाव जीतकर उन्होंने प्रदेश सरकार में पथ परिवहन विभाग, पीएचडी और पशुपालन विभाग का मंत्री संभाला था. तीसरी पीढ़ी के रूप में नरेंद्र सिंह के बड़े बेटे स्वर्गीय अभय प्रताप सिंह चकाई से मंझले बेटे अजय प्रताप जमुई से छोटे बेटे सुमित कुमार सिंह चकाई से विधायक रहे वर्तमान में इनके पुत्र सुमित कुमार सिंह जमुई से विधायक है यह इस बार विधानसभा में एकलौती निर्दलीय विधायक हैं और नीतीश सरकार के समर्थन के कारण इनको विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री बनाया गया है.
जीतन राम मांझी का समर्थन कर जदयू से अलग होने वाले नरेंद्र सिंह ने हम पार्टी के निर्माण में अहम भूमिका निभाई किंतु बाद में पार्टी की नीतियों से खिन्न होकर खुद को इससे अलग कर लिया इन दिनों यह राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे किसान आंदोलन के प्रखंड स्तंभ थे.
पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी दिल्ली के चुनाव में अरविंद केजरीवाल और झारखंड के चुनाव में इन्होंने सरयू राय के लिए प्रचार किया था. राजनीति को सदैव सेवा का माध्यम मानने वाले नरेंद्र बाबू के अथक प्रयास से ही जमुई जिले का निर्माण हुआ. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान और बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उन्होंने लंबे समय तक काम किया.