मैं भी डिजिटल 3.0: डिजिटल पेमेंट बढ़ाने के लिए अब रेहड़ी-पटरी वालों को मिलेगी ट्रेनिंग

डिजिटल इंडिया के अंतर्गत भारत में डिजिटल पेमेंट पर भी जोर दिया जा रहा है। आज उच्च वर्ग और मध्यम वर्ग के लोगों में बड़े स्तर पर डिजिटल पेमेंट देखी जा सकती है। जबकि निम्न वर्ग और छोटे व्यापारियों में इसे लेकर जानकारी का थोड़ा अभाव नजर आता है। अब इसी अभाव को दूर करते हुए केंद्र सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों को भी डिजिटल पेमेंट का लेन-देन करने की ट्रेनिंग देने के लिए ‘मैं भी डिजिटल 3.0’ अभियान शुरू किया है।

इस अभियान के अंतर्गत आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय साथ मिलकर देश के 223 शहरों में पीएम- स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को ट्रेनिंग देंगे। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अजय प्रकाश साहनी ने संयुक्त रूप से एक वर्चुअल इवेंट में इस योजना को लॉन्च किया।

डिजिटल पेमेंट कंपनियां भी आई साथ

भारतपे, एमस्वाइप, फोनपे, पेटीएम, एसवेयर जैसी डिजिटल पेमेंट कंपनियां भी आगे आ रही हैं। ये कंपनियां स्ट्रीट वेंडर्स को डिजिटल पेमेंट मेथड जैसे यूपीआई आईडी और क्यूआर कोड के बारे में ट्रेनिंग देंगी और उन्हें डिजिटल पेमेंट से जुड़ी अलग-अलग जरूरी जानकारियां भी उपलब्ध करवाएंगी। इससे रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वाले छोटे और कम शिक्षित व्यापारी भी डिजिटल लेनदेन को व्यवहार में लाएंगे।

इसके अलावा, डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए कर्ज देनेवाले संस्थानों को ड्यूरेबल क्यूआर कोड सौंपने के दिशानिर्देश देने के साथ वितरण के एक सप्ताह के भीतर लाभार्थियों को डिजिटल रसीद और भुगतान लेनदेन करने के लिए भी प्रशिक्षित करेंगे।

लाखों स्ट्रीट वेंडर्स को किया गया ऑन-बोर्ड

आंकड़ों की अगर बात करें तो आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 45.63 लाख आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इनमें से 27.24 लाख कर्ज को स्वीकृति मिल चुकी है। वहीं, 24.71 लाख कर्ज का वितरण हो चुका है। लाभार्थियों को 2,444 करोड़ रुपये की राशि बांटी गयी है और लगभग 70,448 से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों ने कर्ज की पहली किश्त भी चुका दी है। बता दें, इस वक्त 22.41 लाख स्ट्रीट वेंडर्स डिजिटल रूप से ऑन-बोर्डेड हैं जिनमें से 7.24 लाख स्ट्रीट वेंडर डिजिटल रूप से सक्रिय हैं। इन्होंने 5.92 करोड़ डिजिटल लेनदेन दर्ज किए हैं।

क्या है पीएम-स्वनिधि योजना?

दरअसल, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा 1 जून 2020 से शुरू की गई है। कोरोना काल में हुए नुकसान को कम करने के लिए शुरू हुई इस योजना का लक्ष्य सस्ती ब्याज दरों पर रेहड़ी औए फेरीवालों को लोन उपलपब्ध कराना है। यह योजना मार्च, 2022 तक के लिए है। मंत्रालय के अनुसार, सरकार ने इस योजना के तहत 50 लाख से ज्यादा रेहड़ी-पटरी वालों को लोन देने का टारगेट रखा है। बता दें, इस योजना के लाभार्थियों को जो भी लोन दिया जाता है उसमें किसी तरह की गारंटी नहीं ली जाती है। यह योजना नियमित पुनर्भुगतान पर 7% की दर से ब्याज सब्सिडी के साथ 10 हजार रुपए तक की किफायती कार्यशील पूंजी के ऋण की सुविधा भी प्रदान करती है।

पीएम स्वनिधि योजना ऋण देने वाली संस्थाओं को पोर्टफोलियो के आधार पर ग्रेडेड गारंटी कवर प्रदान करती है। स्ट्रीट वेंडर्स के समय पर पुनर्भुगतान करने से दूसरी और तीसरी किश्त में 20 हजार रुपये और 50 हजार रुपए का ऋण प्राप्त करने का मौका मिलता है। योजना के तहत डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति माह 100 रुपये की दर से डिजिटल लेनदेन करने पर स्ट्रीट वेंडरों को 1,200 रूपए तक का कैश बैक प्रदान किया जाता है।

साभार : NewsOnAir

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