महिलाएँ सिर्फ घर ही नहीं बनातीं, जहाँ होती हैं घर का भाव भरती हैं- प्रो. अजय कुमार

जेपीयू के मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) उषा कुमारी को सेवानिवृत्ति पर दी गयी भावभीनी विदाई

छपरा। स्नातकोत्तर जन्तु विज्ञान विभाग के सभाकक्ष में जय प्रकाश विश्वविद्यालय के मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो (डॉ.) उषा कुमारी को सहयोगी शिक्षकवृन्द, विश्वविद्यालयकर्मियों, शोध- छात्रों और छात्र- छात्राओं ने भावभीनी विदाई दी।

इस मौके पर विधान पार्षद और पूर्व अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव ने विश्वविद्यालय में पठन पाठन को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राहुल जी ने जिस जमींदार परिवार के बारे में लिखा है, प्रो. उषा जी उसी इतिहास प्रसिद्ध परिवार से हैं, इन्होंने शिक्षक की भी भूमिका निभाई और समाजसेवा भी की।

इस मौके पर अपने संबोधन में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि महिलाएं सिर्फ घर ही नहीं बनातीं वो जहाँ होती हैं घर होने का भाव भरती हैं। उषा जी ने विभाग के भीतर घर होने का भाव भरा।

डॉ. सुधा बाला ने कहा कि जहाँ भी महिलाएँ रहेंगी व्यवस्था अच्छी रहेगी, उषा जी के रहते विभाग पहले की तुलना में ज्यादा अच्छा और कामयाब हुआ।

डॉ. लाल बाबू यादव ने कहा कि उषा जी एक ऐसी व्यक्तित्व की परिचायक हैं जिसे समग्र और संतुलित व्यक्तित्व की संज्ञा दी जा सकती है।

डॉ. चंदन कुमार ने कहा कि जिस समय उषा जी ने विद्याध्ययन शुरु किया उस समय किसी महिला के लिए परिवार की देहरी लांघ कर उच्च शिक्षा प्राप्त करना ही बड़ी घटना थी और तभी से शुरु हुआ इनका संघर्ष आजन्म चलता रहा, पूरे सेवाकाल में पूरे मनोयोग, एकनिष्ठता से अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए ज्यों कि त्यों धर दीनी चदरिया के भाव से आज कार्यालयी सेवा से मुक्त हो रही हैं। दुःख इस बात का है कि आज के बाद हिन्दी विभाग ममत्व की धूरि महिला से रिक्त हो जाएगा।

अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अपने लंबे शिक्षकीय जीवन में मैनें संघर्ष के कई पड़ाव देखे। मेरा संघर्ष समाज की रचना के लिए रहा और रचना की यह यात्रा जारी रहेगी।

विदाई समारोह को प्रो. राकेश वर्मा, प्रो. दीप्ति सहाय, प्रो. पूनम सिंह, श्रीहरि बाबा, शोधार्थी अमित रंजन, श्रीमती खुश्बू यादव आदि ने संबोधित किया, संचालन डॉ. सिद्धार्थ शंकर ने किया।

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