मधुबनी जिले के मधेपुर प्रखंड में कोरोना संक्रमण बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। हालांकि बेतहाशा कोरोना संक्रमण वृद्धि दर को देखते हुए बिहार राज्य सरकार द्वारा 25 मई तक संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई है, परंतु लोग खुलेआम लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया जाना स्थानीय प्रशासन का दायित्व बनता है, परंतु स्थिति को देखते हुए प्रखंड क्षेत्र में कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं होता कि यहां लॉकडाउन प्रभावी तरीके से लागू है।
पुलिस प्रशासन की सायरन बजते ही दुकानदार अपनी दुकान बन्द कर देते है, पर जैसे ही थाना प्रशासन वहा से चले जाते हैं, तो पुनः अपनी दुकान लगाकर चलाने लगता है। ताज्जुब तब लगता है जब ग्राहकों को दुकान के अन्दर प्रवेश होता है, और बाहर से सटर मे ताला लग जाता है। जैसी ही खरीदारी अन्दर में हो जाए तब बाहर में बैठे दुकानदार का आदमी ताला खोलता है, तब बाहर निकाल ते है।
आज बुधवार को प्रतिबंध के बावजूद सड़कों पर आमलोगों की आवाजाही जारी रही। वहीं मोटरसाइकिल एवं अन्य छोटे-बड़े वाहनों का परिचालन भी अन्य दिनों की भांति ही देखने को मिला। लॉकडाउन की घोषणा के उपरांत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश के तहत कुछ आवश्यक सेवाओं को छोड़ वाहनों एवं पैदल व्यक्तियों का सड़क पर परिचालन पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।
परंतु आमजन अपनी व अपने जान को जोखिम में डालकर बेवजह सड़क पर निकलने से बाज नहीं आ रहे। इनके अलावा आवश्यक खाद्य सामग्री व फल सब्जी की दुकानों को भी सुबह 10बजे तक ही लगाने का आदेश है, परंतु कतिपय दुकानदार अपनी दुकानों का शटर आगे से लगाकर पिछे के रास्ते दुकान चलाते दिख रहे हैं। पुलिस वाले अपनी पुरी निष्ठा से काम करते है, परंतु पुलिस गाड़ी सड़क से हटते ही मामला फिर पहले जैसा हो जाता है। ऐसे में जब प्रखंड क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के मामले लगाता बढ़ रहे हैं, प्रशासन को लॉकडाउन के संदर्भ में सख्ती बरतनी होगी, वरना हालात बेपटरी होते देर नहीं लगेगी। कोरोना संक्रमण की पुष्टि वाले क्षेत्रों को प्रशासन द्वारा कंटेनमेंट एरिया घोषित नही किया जा रहा, जबकी मधेपुर प्रखंड में 450से उपर केस है।
वहां बाहरी लोगों के आवागमन को प्रतिबंधित नही किया जा रहा है। परंतु इन कंटेनमेंट एरिया की समुचित सीलबंदी न होने व पुलिस कर्मी की गैर-मौजूदगी की वजह से वहां के लोगो को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। अक्सर बाहरी लोगों को बे रोक टोक आना जाना लगा है, यहा तक की मुहल्ले के लोग डरे सहमे से है।