भगवान महावीर ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया

(डा. नम्रता आनंद)
पटना, हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार 599 ईसा पूर्व में बिहार के कुंडा ग्राम में महावीर स्वामी का जन्म हुआ था।

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था। कहा जाता है कि 30 वर्ष की आयु में इन्होंने राज महलों के सुख को त्याग कर सत्य की खोज में जंगलों की ओर चले गए। घने जंगलों में रहते हुए इन्होंने बारह वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिसके बाद ऋजुबालुका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।उस समय महावीर स्वामी ने लगातार 12 वर्षों तक कठिन तपस्या की। इसके फलस्वरूप उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई।

जैन धर्म के अनुयायी धूमधाम से महावीर जयंती मनाते हैं। भगवान महावीर ने समाज के सुधार और लोगों के कल्याण के लिए उपदेश दिए।जैन संप्रदाय के लोगों के लिए महावीर जयंती बहुत ही खास मानी जाती है। महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग प्रभात फेरी, अनुष्ठान और शोभायात्रा निकालते हैं। भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए पांच नियम स्थापित किए, जिन्हें हम पंच सिद्धांत के नाम से जानते हैं। ये पांच सिद्धांत हैं- अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, सत्य और अपरिग्रह।

महावीर जयंती के दिन भगवान महावीर की पूजा की जाती है और उनके दिए गए उपदेशों को स्मरण करके उनके बताए गए सिद्धांतों पर चलने का प्रयास किया जाता है। साथ ही इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। महावीर स्वामी ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया।

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