धर्म-कर्म का पालना, गीता का उपदेश !
सच में हरि का वास है, हरियाणा परदेश !!
माथे इसके सरस्वती, कहते वेद विशेष !
इस धरती पर स्वर्ग है, देखो अपना देश !!
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अमन-चैन की ये धरा, है वेदों का ज्ञान !
भूमि है ये वीर की, रखें देश की आन !!
हट्टे-कट्टे लोग हैं, अलग-अलग है भेष,
पर हरियाणा एक है, न कोई राग द्वेष !!
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कुरुक्षेत्र की ये धरा, करें कर्म निर्वाह !
पानीपत मैदान है, ऐतिहासिक गवाह !!
चप्पे-चप्पे है यहाँ, बलिदानी उपदेश,
आंदोलन का गढ़ यही, जिससे भारत देश !!
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मर्द युद्धों को पलटते, पदक जीतती बीर !
एक-नेक हरियाणवी, सिखलाते हैं धीर !!
मेल-जोल त्योहार में, गीतों का परिवेश,
मानवता का पालना, गाये प्रेम सन्देश !
सच में हरि का वास है, हरियाणा परदेश !!
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माथे इसके सरस्वती, कहते वेद विशेष !
सच में हरि का वास है, हरियाणा परदेश !!
धर्म-कर्म का पालना, गीता का उपदेश !
इस धरती पर स्वर्ग है, देखो अपना देश !!
रिसर्च स्कॉलर, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट।