मुजफ्फ़रपुर- समय भी थक गया पूल के इन्तजार में, लदौर गाँव से आयी एक चिठ्टी….. 70 साल बाद भी नहीं बदली इस गाँव की मिट्टी

राज लक्ष्मी / बिहार पत्रिका

देश की आजादी के लगभग 70 साल हो गए हैं, पर विकास की दर में हम अभी भी बहुत पिछड़े हुए हैं। शहर में तो फिर हालात कुछ ठीक हैं पर गावों की बात करें तो आज भी कई गावं मुलभुत सुविधाओं से वंचित हैं। कुछ गावों की माली हालत इतनी खराब है की उसको शब्दों में बयां नहीं कर सकते। वहाँ के गावों के लोगों की बात करें तो उनलोगों की  जिंदगी आज भी 70 साल पहले जैसी है और हर दिन वहाँ के लोगों  को एक नई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।

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ऐसा हीं एक गावं है लदौर

ऐसा हीं एक गावं है लदौर। यह गावं मुजफ्फ़रपुर जिले के अंतर्गत पड़ने वाले इस गावं में लोग चालीस वर्ष से एक पूल की मांग कर रहे हैं जो आज तक नहीं बन पाया है।

भारत पोस्ट लाइव को इसी गावं के निवासी अमित कुमार झा ने अपनी समस्या बताई। उन्होंने कहा कि इस गावं में 200 से 300 मीटर का पुल नही होने के कारण ग्रामीण लोगों को आने जाने में काफी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। इस बाबत उन्होंने ग्रामीणों की आवाज बन कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विभिन्न विभिन्न -विभाग को पत्र लिखा, पर परिणाम कुछ भी सामने नहीं आया।

 

ये मामला 40 वर्ष से भी अधिक पुराना

श्री झा के मुताबिक ये मामला 40 वर्ष से भी अधिक पुराना है। फिर भी इस गावों के लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं ग्रामीण लोगों का कहना है कि अजय निषाद जो कि बीजेपी से हैं और यह उनके पिता का संसदीय क्षेत्र भी रहा है, इन्होने कोई भी कार्य आज तक ग्रामवासियों के लिए नहीं किया है। महज चुनाव के वक्त आना और भाषणबाजी कर चले जाना ही उनका काम रह गया है। वहीं अगर जब इस गावों के और गावों वालों के समस्याओं के बारे में बात करे तो बाढ़ के समय बाढ़ग्रस्त के श्रेणी में है। इस कारण मजदूर, बुजुर्ग, महिलाओं, बच्चों आदि को समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।

अब हार कर थक गयां हूँ

इसी ग्राम के निवासी अमित कुमार झा ने इस मुद्दे पर अपने तरफ से हर सम्भव प्रयास किया पर वे कहते हैं कि “अब हार कर थक गयां हूँ।“ उन्होंने कहते हैं कि “मेरी सरकार से निवेदन है कि इस बुनियादी समस्या को थोड़ा ध्यान दिया जाय, क्योकि हमारे ग्राम का नाम आदर्श ग्राम लदौर है, पर आदर्श के लायक बुनियादी विषय दूर-दूर तक नही है।“ उन्होंने अपने इस मुद्दे को सरकार के विभिन्न विभागों सहित विभिन्न मीडिया में भी उठाया पर आज तक उनकी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। वे अपने ग्राम वासियों के साथ यहाँ के जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा लगाकर थक चुकें हैं। वे अपनी इस समस्या को राष्ट्रपति, राज्यपाल, हाईकोर्ट के साथ साथ समस्त सम्बंधित केंद्रीय और राज्य विभाग को सम्पर्क किया पर किसी ने जमीनी कोई कदम नही उठाया।

वहीँ ग्राम के पुल सम्बन्ध में नाबार्ड से कुछ प्रश्न पूछें जाने पर उन्होंने जो उतर दिया और वो उत्तर कुछ इस प्रकार हैं।

 

अमित झा के अनुसार वे 10 जून 2020 को भारत के प्रधानमंत्री जी को ग्राम के बुनियादी मुद्दों के सम्बन्ध में पत्राचार किया। यह  पत्र क्रमांक 507 है, पहला पत्र उन्हें उनके प्रधानमंत्री कार्यलय में 17 सितंबर 2014 को दिया गया था, पहले पत्र और उक्त पत्र की प्रति भी आप तस्वीरों में देख सकते हैं

आरटीआई से मिली जानकारी और व्यक्तिगत जानकारी में नाबार्ड अलग-अलग बातें बता रहा है।

 

विचारणीय विषय यह है कि राजनेताओं में सत्ता कि भूख इस कदर रहती है कि ये लोग ये भी भूल जाते हैं कि जो जनता हमें जीत दिलाती है तो उनके लिए भी कुछ कार्य करना हमारा फर्ज बनता है। इस गावं के अमित झा की बात करें तो वे अपनी नहीं बल्कि पुरे गावं की समस्या के लिए पीएम समेत कई विभागों के चक्कर लगा चुके हैं। आश्चर्य है कि कुछ महीने नहीं बल्कि 40 साल से इस पूल की मांग हो रहीं है पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 40 सालों में कम से कम राज्य और केंद्र में दर्जनों बार सरकारें बदली होंगी इस क्षेत्र के प्रतिनिधि भी बदले होंगे पर आज भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

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