बाढ़ प्रभावित किसानो को कृषिमंत्री का आश्वासन

पटना, 28 जुलाई। बिहार सरकार में कृषि एवं पशुपालन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि उत्तर बिहार के कुल 11 जिले बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। 11 जिलों के 93 प्रखंडों की 765 पंचायतें बाढ़ से घिर गई हैं। आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। हालांकि जितने भी क्षेत्र बाढ़ प्रभावित हैं उनमे कुल राहत शिविरों कि संख्या 29 है, जहाँ अभी 12, 858 लोगों को शरण दिया गया है। वहां रहने वाले लोगों के लिए सामुदायिक रसोई कि भी व्यवस्था की गई है। ऐसे राहत शिविरों में अबतक कुल 703 सामुदायिक रसोई बनाए गए हैं तथा लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए अबतक 25 एनडीआरएफ की टीमों को तैयार किया गया है।

कृषि मंत्री ने कहा “तालाबों में पानी भर जाने से मछली पालन व्यवसाय को भी खासा नुकसान पहुंचा है। मछली पालन कारोबार से जुड़े 30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।

बाढ़ के कारण होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए राज्य सरकार सभी प्रभावित जिलों में अपने स्तर से सर्वे कराकर आकलन करेगी। इसके साथ ही बाढ़ से कितने प्रखंड के कितने तालाबों को नुकसान पहुंचा है, इसका आकलन करवा कर मछुआरा समाज को मदद दी जाएगी। आपदा प्रावधानों के तहत तत्काल क्षतिग्रस्त नावों, जाल ,मत्स्य बीज तथा तालाबों में जमा हुए गाद को निकालने हेतु सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी।”

डॉ कुमार ने कहा, “डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में अधिकतर तालाबों और पोखरों से मछलियां बह गई हैं। बाढ़ से मखाना और सिंघाड़ा उत्पादन के कारोबार को भी नुकसान पहुंचा है। जिला कृषि पदाधिकारी आवश्यकतानुसार सभी जिलों में किसानों को बीज उपलब्ध करायें। यदि बाढ़ से क्षेत्र प्रभावित होता है तो उसकी भरपाई के लिए अन्य खेत खाली नहीं रहे। अधिकारियों को यह ध्यान रखना होगा कि किसानों के कम से कम नुकसान हो।”

कृषि मंत्री ने कहा “दूसरी तरफ बाढ़ के कारण पशु भी प्रभावित हो रहें हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। पशुओं को सुरक्षित जगहों पर रखने के लिए पशु शिविरों की व्यवस्था की गई है। पशुओं के लिए चारा एवं दवा की समुचित व्यवस्था की गई है। बाढ़ के कारण पशुओं की अगर किसी कारण से मृत्यु होती है तो एक सप्ताह के अंदर उन्हें मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित किया जाय। पशु क्षति होने की स्थिति में जिला पशुपालन पदाधिकारी की पर्सनल रिस्पांसिबिलिटी होगी कि हर हालत में एक सप्ताह के अंदर प्रभावितों को मुआबजे का भुगतान हो जाना चाहिए। मुर्गियों के नुकसान होने की स्थिति में भी अविलम्ब भुगतान की कार्रवाई की जाय।”

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