नयी दिल्ली अंग्रेजी और हिंदी में कायस्थ, एक एनसाइक्लोपीडिया अनकही कहानियों नामक पुस्तक ऑनलाइन लोकर्पण किया गया।
अपनी तरह का पहला कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया भारत के 21 राज्यों में दो वर्षों में किए गए अनुसंधान का परिणाम है, जिसके प्रमुख लेखक उदय सहाय है, जो स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे, और उनकी सहयोगी लेखिका अमेरिका में क्लीवलैंड विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाली प्रोफेसर पूनम बाला है।
पुस्तक का हिंदी में अनुवाद गांधी शांति संस्थान के वर्तमान सचिव और प्रतिष्ठित पत्रकार, अशोक कुमार द्वारा किया गया है। इस इनसाईक्लोपीडीया की एक प्रति की कीमत रु 3000 है।
पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर आर.के.सिन्हा (पूर्व राज्यसभा भाजपा सांसद), सुबोध कांत सहाय (पूर्व कांग्रेस कैबिनेट मंत्री), दीपक प्रकाश (भाजपा सांसद राज्य सभा), बिस्वाल सारंग स्वास्थ्य मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार, जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के प्रवक्ता और ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद, नीरज दफ्तुआर सीएम हरियाणा के प्रमुख ओएसडी, और अन्य नेताओं जैसे जितेंद्र सिंह, प्रदीप माथुर (विधायक मथुरा) अमिताभ सिन्हा (पूर्व भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता), समीर गुप्ते (अखिल भारतीय चंद्रसेनीय कायस्थ महासभा), आर अरुणाचलम (अखिल भारतीय मुदालियार कायस्थ महासभा), डीवी कृष्ण राव (अखिल भारतीय कर्णम कायस्थ महासभा), आंध्र प्रदेश, सरूप चंद्र घोष (अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पश्चिम बंगाल), और स्वप्ननील बरूआ (अखिल भारतीय कायस्थ महासभा असम) शामिल थे। इस कार्यक्रम का लाईव प्रसारण फेसबुक और युट्यूब पर भी हुआ जिसमें करीब आठ हजार लोगों ने हिस्सा लिया।
समारोह में समापन भाषण पूर्व कैबिनेट मंत्री और बॉलीवुड के सुपर अभिनेता, शत्रुघ्न सिन्हा ने दिया।
इस पुस्तक का पूर्वावलोकन विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा किया गया, जैसे अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, इतिहासकार एंजेला व्लाकॉट, अशोक विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रमथ राज सिन्हा, जापान में भारत के राजदूत संजय कुमार वर्मा, पीपी श्रीवास्तव और मंजरी जरुहार जैसे प्रतिष्ठित सिविल सेवक शामिल हैं।
इस अवसर पर प्रमुख लेखक उदय सहाय ने कहा कि यह पुस्तक एक सामुदायिक अध्ययन है और यह कई शताब्दियों में फैली कायस्थों की गौरवशाली विरासत को संरक्षित करने का इरादा रखती है।सह-लेखिका सुश्री पूनम बाला ने बताया कि कैसे पुस्तक ने प्रकाशन के पहले ही अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, जापान, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया, यूएई और भारत के 21 राज्यों में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
भाजपा के पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने इस अवसर पर पुस्तक के लेखकों को बधाई देते हुए कहा कि पुस्तक सभ्यता के बदलाव और कायस्थों के प्रवासन की प्रकिया को समझने के लिए एक मूल्यवान दस्तावेज है।
शत्रुघ्न सिन्हा, पूर्व कैबिनेट मंत्री, ने 21 राज्यों में कायस्थों की अखिल भारतीय उपस्थिति के विषय में अपनी अज्ञानता को स्वीकार करते हुए कहा कि कायस्थों के तीन प्रकार मौजूद थे, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी लेकिन अब यह पुस्तक उन्हें एक साथ लाने में मददगार होगी।
जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के प्रवक्ता और ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि कायस्थ विश्वकोश समुदाय के सदस्यों और अन्य पाठकों के बीच एक बड़े पैमाने पर कायस्थों की विरासत और उसके नायकों को पुनःस्थापित करने में सफल होगी।आने वाली भावी पीढ़िया निसंदेह इसे मील का पत्थर मानेगी, जो हमारा गौरवशाली इतिहास रहा है, जो हमारी परंपराये रही है , जो हमारी समृद्ध सास्कृतिक विरासत रही है ,कहीं न कहीं हमारी विभूतियों का मूल्याकांन इतिहासकारों ने सही तरह से नहीं किया है लेकिन उनकी अनकहीं कहानियों को कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया के जरिए दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया गया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री, सुबोधकांत सहाय ने पुस्तक में उल्लेखित श्री चित्रगुप्त सर्किट के तहत कायस्थों की तीर्थ यात्रा के महत्व बताया। साथ ही उन्होंने साझा किया कि कायस्थ केवल प्रशासक और मुनीम नही रहे। उन्होने स्रोताओं को प्राचीन और प्रारंभिक मध्यकालीन भारत के पराक्रमी कायस्थ राजाओं के बारे में भी बताया जो कश्मीर से तामिलनाडु और गुजारात से महाराष्ट्र और बंगाल से आसाम तक एक माला की तरह पिरोये हुये हैं।
ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और वरिष्ठ पत्रकार कमल किशोर ने कहा कि चाहे देश की आजादी की लड़ाई हो या फिर देश के लिए नया संविधान लागू करने का सवाल हो अथवा आजादी के बाद नए भारत के निर्माण का प्रश्न हो या फिर देश में तानाशाही पूर्ण शासन को समाप्त करने के लिए 1974 का आंदोलन ही क्यों ना हो सभी में कायस्थ के वीरों, महापुरुषों ,प्रतिभा संपन्न मेधावी चित्रगुप्त वंशजों का अप्रतिम योगदान रहा हैकायस्थों के गौरवशाली अतीत से वर्तमान एवं भावी पीढ़ी को अवगत कराने में कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया कामयाब होगी।