बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पहले चरण में 28 अक्टूबर को होनेवाले मतदान के मद्देनजर 01 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होनेवाली है| इस बार चुनावी दंगल में ताल ठोकने की तैयारी में जुटे भावी प्रत्याशी पार्टी नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद अपने-अपने क्षत्रों का दौरा कर जनसम्पर्क अभियान में जुटे हुए हैं| हालांकि जनाक्रोश का सामना कर रहें कई सिटिंग विधायकों को इस बार टिकट कटने का डर सता रहा है, बावजूद इसके निरंतर जनता से जुड़े रहने का दिखावा कर पार्टी नेतृत्व का विश्वास हासिल करने की हर संभव कोशिश में जुटे हुए हैं ताकि उन्हें पुनः मौक़ा मिल सके| वही दूसरी तरफ लम्बे समय से पार्टी के प्रति तन-मन से समर्पित लोग इस बार मेहनताना के रूप में टिकट पाने के लिए पार्टी नेतृत्व की ओर टकटकी लगाये हुए हैं|
गौरतलब है कि करगहर विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक वशिष्ठ सिंह के खिलाफ पार्टी के प्रदेश मुख्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी करते हुए उन पर शराब के अवैध कारोबार में लिप्त होने का आरोप लगाया| नारेबाजी कर रहे कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेतृत्व से मांग की है कि इस बार विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नही दिया जाए|
उल्लेखनीय है कि 2015 के चुनाव में करगहर विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज कर सदन पहुंचे वशिष्ठ सिंह मूल रूप से रोहतास जिले के बिलासपुर, गोरदिहा के निवासी हैं| करगहर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को इस युवा विधायक से यह आस थी कि अब इस क्षेत्र का समुचित विकास और सर्वजन का काया-कल्प होगा| लेकिन विगत 5 वर्षों के अपने कार्यकाल में जनता की उम्मीदों के अनुरूप खुद को साबित करने में वशिष्ठ सिंह पूरी तरह से नकारा साबित हुए| यही कारण है कि इस बार उनके खिलाफ क्षेत्र में जनाक्रोश चरम पर है और लोग जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर उनकी नाकामियों को गिना रहे हैं|
जनता का आक्रोश करगहर विधानसभा से निकलकर अब पटना जेडीयू मुख्यालय तक पहुँच चुका है| स्थानीय लोगों की यह मांग है कि करगहर विधान सभा से इस बार जेडीयू की तरफ से वर्तमान विधायक की जगह पार्टी नेतृत्व एक बेहतर, सक्षम और जमीन से जुड़े प्रत्याशी का चयन करे ताकि क्षेत्र का समुचित विकास हो सके|