पढ़िये “ग्लोरी ऑफ इण्डिया अवार्ड” से सम्मानित विशाल दफ्तुआर की मानवाधिकार क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियाँ

1) जून,2019 में वैश्विक स्तर की संस्था ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन-एचआरयूएफ की स्थापना के तुरंत बाद ही इसके पहली जबरदस्त मिशन की शुरुआत हुई।बिहार के दरभंगा के अत्यंत गरीब और मानसिक तौर पर बीमार सतीश चौधरी की बांग्लादेश की जेल से 11 सालों बाद 12 सितंबर 2019 को उसकी वतनवापसी करवाई गई।इस अत्यंत मार्मिक मामले में उसका परिवार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार और दूसरे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काट कर थक चुका था और उम्मीदें छोड़ दी थी।एचआरयूएफ चेयरमैन विशाल रंजन दफ्तुआर ने उनकी गुहार पर त्वरित कारवाई की।दफ्तुआर ने बांग्लादेश देश की प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था।बांग्लादेश सरकार के निर्देश पर अंतरराष्ट्रीय बार्डर पर बांग्लादेश गार्ड्स ने तब एचआरयूएफ चेयरमैन का शानदार स्वागत किया था।

2) इसके तुरंत बाद 5 दिसंबर को एचआरयूएफ चेयरमैन के नेतृत्व में बलिया,उत्तरप्रदेश के अनिल कुमार सिंह की वतनवापसी करवाई गई।इसका एक भाई भारतीय सेना में है और एक भाई इंडियन एयरफोर्स में सेवारत है।हर जगह से थक हारकर इन्होंने आवेदन भेजकर एचआरयूएफ चेयरमैन से गुहार लगाई थी।फोन से भी संपर्क किया था।

3) यह विशाल दफ्तुआर की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि है।24 अक्टूबर,2020 को बिहार के शेल्टर होम में पिछले पाँच सालों से रह रही बांग्लादेशी महिला सवेरा बेगम की ईद के समय वतनवापसी करवाई गई।बांग्लादेश हाई कमीशन ने एचआरयूएफ चेयरमैन विशाल रंजन दफ्तुआर के नाम जारी पत्र की उक्त कापी को भारतीय विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सेक्रेटरी को भी भेजा था।इतना ही नहीं सबेरा बेगम के पासपोर्ट गुम हो जाने के बाद उसके एवज में उन्हें उपलब्ध करवाए गये ट्रेवल परमिट पर उनकी फोटो,हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान को अभिप्रमाणित करने की आथरिटी भी बांग्लादेश सरकार ने एचआरयूएफ चेयरमैन विशाल दफ्तुआर को दे दी।यह अत्यंत अभूतपूर्व अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि थी।

4) पिछले साल 2 मार्च को बिहार के उस्तु गाँव के भूमिहीन और महादलित राजेंद्र रविदास को चार सालों बाद बांग्लादेश की जेल से रिहा करवाकर ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन ने एचआरयूएफ चेयरमैन विशाल दफ्तुआर के नेतृत्व लगातार अपने चौथे अंतरराष्ट्रीय मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।

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