भारतीय कलाकार अपनी शानदार कलाकारी के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं। यह बात जब हस्तशिल्प से जुड़ जाए तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। भारतीय हस्तशिल्प को वैश्विक बाजार देने और मेड इन इंडिया पहल को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न प्रकार के आयोजन करती रहती है ताकि भारतीय हस्तशिल्प के विकास और विस्तार को और गति दी जा सके। केंद्र सरकार ने भारतीय मिशन के सहयोग से हस्तशिल्प के लिए निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) हस्तशिल्प उत्पादों पर एक मेड इन इंडिया- ट्रेड शो प्रदर्शनी का आयोजन किया। भारतीय कला और शिल्प और भारतीय हस्तशिल्प निर्माताओं और निर्यातकों के अन्य उत्पादों पर आधारित इस प्रदर्शनी का आयोजन ग्वाटेमाला सिटी, ग्वाटेमाला में हुआ।
प्रदर्शनी में दिखी सम्पूर्ण भारत की झलक
हस्तशिल्प क्षेत्र को मजबूत करने के प्रयासों को जारी रखने के लिए आयोजित इस प्रदर्शनी में सम्पूर्ण भारत की झलक दिखी। भारत के सभी हिस्सों से 10 राष्ट्रीय मास्टर शिल्पकार और निर्यातक हस्तशिल्प उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित किया। प्रदर्शनी में विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प उत्पादों जैसे होम डेकोर, होम फर्निशिंग, कालीन, फर्नीचर, लैंप, फैशन ज्वैलरी और एक्सेसरीज, धूप, सुगंध और वेलनेस उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला शामिल रही। मेड इन इंडिया – ट्रेड शो प्रदर्शनी भारत की विविधता को चित्रित करने का एक अवसर है, जिसकी दुनिया सराहना कर रही है। ईपीसीएच के तत्वावधान में आयोजित यह प्रदर्शनी दुनिया के सामने भारत के कौशल प्रतिस्पर्धा और दुनिया के लिए गुणवत्ता अनुपालन का पालन करने का भी एक अवसर है।
ईपीसीएच दे रही हस्तशिल्प क्षेत्र को बढ़ावा
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) देश से विश्व के अन्य देशों में हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प वस्तुओं और सेवाओं के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेश में भारत की छवि पेश करने के लिए एक नोडल एजेंसी है। ईपीसीएच की पहल से वर्ष 2021-22 के दौरान 33253.00 करोड़ रुपए (4459.76 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का हस्तशिल्प निर्यात दर्ज किया गया जो पिछले वर्ष की तुलना में रुपए के संदर्भ में 29.49 प्रतिशत और डॉलर के संदर्भ में 28.90 प्रतिशत की वृद्धि है। ईपीसीएच और भारतीय मिशनों के सहयोग से भारतीय कला और शिल्प पर ‘मेड इन इंडिया’- ट्रेड शो प्रदर्शनी लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में व्यापार और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देगी।
2021-22 में हस्तशिल्प निर्यात में 29 % की वृद्धि
केंद्र सरकार के सहयोगात्मक प्रयास से हस्तशिल्प क्षेत्र नित नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। देश को 2021-22 में हस्तशिल्प निर्यात में 29 प्रतिशत की वृद्धि हासिल हुई है। 2020-21 में हस्तशिल्प निर्यात 25,680 करोड़ रुपए से बढ़कर 2021-22 में 33,253 करोड़ रुपए हो जाना इसकी सफलता का प्रमुख उदाहरण है। केंद्र सरकार इस क्षेत्र में अपने निर्यात लक्ष्यों को और बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए सरकार ऐसा परितंत्र बना रही है जिससे गुणवत्ता, निरंतरता, डिजाइन और ब्रांडिंग पर जोर देकर इस क्षेत्र में कई गुना वृद्धि संभव की जा सके। हस्तशिल्प कलाकारों और निर्यातकों से इस क्षेत्र में विकास को गति देने के लिए सरकार ने नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की मजबूत कर रहा पारंपरिक कौशल
पारंपरिक कौशल से जुड़े व्यवसाय पीएम मोदी के आत्मानिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जो ग्रामीण स्तर की स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं की ताकत के निर्माण पर आधारित है। सरकार पारंपरिक कौशल को बढ़ावा देने और उनके प्रचार प्रसार के लिए किए जा रहे सहयोग से जहां कारीगरों को अपनी उत्पाद का बजार मिल रहा है वहीं क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था भी तेजी से मजबूत हो रही है। सरकार ने सभी हस्तशिल्प कारीगरों और उद्यमियों को भारत और दुनिया के ग्राहकों के साथ जुड़ने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयाएर किया है ताकि वे आसानी से लेनदेन कर सकें। इससे न केवल इस क्षेत्र में व्यापार में आसानी होगी बल्कि भारत से निर्यात को दोगुना करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
’वोकल फॉर लोकल’ पर जोर
पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पहल को आगे बढ़ाने के लिए विदेशी वस्तुओं के बजाय भारतीय हस्तशिल्प, हथकरघा, खादी और कारीगरों द्वारा बनाये गये अन्य उत्पादों को खरीदने और बढ़ावा देने का आह्वान किया था। आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ की मुहिम को पीएम मोदी द्वारा शुरू किया गया ताकि क्षेत्रीय उत्पादों को उचित बाजार उपलब्ध हो सके। ‘वोकल फॉर लोकल’ मुहिम को सपोर्ट करने के लिए सरकार ने कई सहायक कार्यक्रम बनाया है। यह देश को आत्मनिर्भरता के मार्ग पर अग्रसर करने में सहायक होगा।