कुछ साल पहले तक जब ”ड्रोन” का नाम लिया जाता था तो लगता था कि यह सेना से जुड़ी हुई कोई चीज है जिसे दुश्मनों से मुकाबला करने में उपयोग किया जाता है। दरअसल ”ड्रोन” को लेकर केवल उसी दायरे में सोचा जाता था। मगर आज समय के साथ इसके उपयोग भी बदल रहे हैं। ड्रोन के इस्तेमाल के इस बदलते स्वरूप से आज भारत में अनेक क्षेत्रों में नई ड्रोन क्रांति शुरू हो रही है जिनमें से प्रमुख है ”कृषि क्षेत्र में ड्रोन क्रांति”। जी हां, भारत कृषि प्रधान देश है इसलिए कृषि क्षेत्र में ड्रोन क्रांति की खास अहमियत है।
कृषि क्षेत्र में कैसे हुई ड्रोन की शुरुआत ?
देश में कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग की शुरुआत हो चुकी है। यह कृषि क्षेत्र में ड्रोन क्रांति होगी। यह 21वीं सदी की आधुनिक कृषि व्यवस्था की दिशा में एन नया अध्याय है। ये शुरुआत न केवल ड्रोन सेक्टर के विकास में मील का पत्थर साबित होगी बल्कि इसमें संभावनाओं का एक अनंत आकाश भी खुलेगा जिसका सीधा फायदा देश के किसानों को मिलेगा। इसलिए आने वाले दिनों में भारत के किसान का जीवन खुशहाल होगा। इसी कड़ी में हाल ही में पीएम मोदी 100 किसान ड्रोन का उद्घाटन भी कर चुके हैं। ये किसान ड्रोन देश के अलग-अलग हिस्सों में कीटनाशकों के छिड़काव और कृषि जगत से जुड़े अन्य विशेष कार्यों में इस्तेमाल किए जाएंगे।
आमतौर पर ड्रोन के रूप में जाने जाने वाले मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) के उपयोग से कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की काफी संभावनाएं दिखाई पड़ती हैं। इस दिशा में ”राष्ट्रीय ड्रोन नीति” को अधिसूचित कर दिया गया है और ”ड्रोन नियम 2021” को देश में लोगों तथा कंपनियों के लिए अब ड्रोन के स्वामित्व एवं संचालन को काफी आसान बना दिया गया है। अनुमतियों के लिए अपेक्षित शुल्क को भी नाममात्र के स्तर तक घटा दिया गया है।
युवा टैलेंट पर किया भरोसा
देश के लिए यह समय आजादी के अमृत काल का समय है। यह समय युवा भारत का समय है और भारत के युवाओं का समय है। पिछले कुछ समय में देश में जो रिफॉर्म्स हुए हैं युवाओं और प्राइवेट सेक्टर ने उसे एक नई ताकत प्रदान की है। जी हां, ड्रोन को लेकर भारत ने आशंकाओं में समय नहीं गवाया बल्कि देश ने युवा टैलेंट में भरोसा किया और नई सोच के साथ आगे बढ़े।
अगले दो वर्षों में 1 लाख ‘मेड इन इंडिया’ ड्रोन का लक्ष्य
”राष्ट्रीय ड्रोन नीति” आने के बाद अब देश में ड्रोन निर्माता कंपनियां भी सहयोग के लिए आगे आ रही हैं। इन्हीं में से एक है ”गरुड़ एयरोस्पेस”। जी हां, देश में ”गरुड़ एयरोस्पेस” ने अगले दो वर्षों में 1 लाख ”मेड इन इंडिया” ड्रोन बनाने का लक्ष्य रखा है। इससे अनेकों युवाओं को नए रोजगार और नए अवसर मिलेंगे। इनकी मदद से देश में न केवल कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। बता दें कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण केंद्र सरकार के मुख्य एजेंडे में से एक है। 2014 से सभी नीतियों का उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना है। इसलिए केंद्र सरकार खेती में नई तकनीकों को शामिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है ताकि कृषि क्षेत्र में उत्पादकता के साथ-साथ दक्षता बढ़ाई जा सके।
कृषि क्षेत्र में कहां हो सकता है ड्रोन का इस्तेमाल ?
ड्रोन मल्टी-स्पेक्ट्रल और फोटो कैमरों जैसी कई विशेषताओं से सुसज्जित हैं। ड्रोन का इस्तेमाल कृषि के कई क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे फसल के दबाव की निगरानी, पौधों की वृद्धि, पैदावार की भविष्यवाणी, खरपतवार नाशक, उर्वरक और पानी जैसी सामग्रियों का वितरण करना। यही नहीं, किसी भी वनस्पति या फसल के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। खरपतवार, संक्रमण और कीटों से प्रभावित क्षेत्र व इस आकलन के आधार पर, इन संक्रमणों से लड़ने के लिए आवश्यक रसायनों का सटीक मात्रा में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे किसान की कुल लागत में काफी कमी की जा सकती है।
टिड्डियों के हमले होगा बचाव
बीते साल देश के विभिन्न राज्यों में टिड्डियों के प्रकोप को रोकने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। ऐसी परिस्थिति में इनका इस्तेमाल फिर से किया जा सकता है। बता दें, देश में केंद्र व राज्यों की नीतियां हमेशा कृषि व कृषक को प्राथमिकता में रखकर तैयार की जाती हैं। कृषि क्षेत्र की प्रगति में किसानों व वैज्ञानिकों का योगदान बढ़-चढ़कर रहता है।
हाई कैपेसिटी ड्रोन से किसानों को मिलेगी बड़ी सहूलियत
”हाई कैपेसिटी ड्रोन” की मदद से किसान ताजी सब्जियां, फल, फूल बाजार भेज सकते हैं। मछली पालन से जुड़े लोग तालाब, नदी या समुद्र से सीधे ताजी मछलियां बाजार भेज सकते हैं। कम समय में मिनिमम डैमेज के साथ मछुआरों का किसानों का सामान बाजार पहुंचेगा तो किसानों और मछुआरों की आय भी बढ़ेगी। ऐसी अनेक संभावनाएं हमारे सामने दस्तक दे रही है। देश में कई और कंपनियां तेजी से आगे बढ़ रही है।
कई स्टार्टअप्स द्वारा ड्रोन प्लांटिंग सिस्टम किए गए विकसित
देश में कई स्टार्टअप्स द्वारा ड्रोन प्लांटिंग सिस्टम भी विकसित किए गए हैं, जो ड्रोन को पॉड्स, उनके बीजों को शूट करने और मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को स्प्रे करने की सुविधा देते हैं। इस प्रकार, यह तकनीक लागत को कम करने के अलावा फसल प्रबंधन की निरंतरता और दक्षता को बढ़ाती है।
बजट में भी टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को मिली प्राथमिकता
इस बार के बजट में हुई घोषणाओं से लेकर अन्य नीतिगत फैसलों में देश ने खुलकर टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को प्राथमिकता दी है। इसके परिणाम आज हमारे सामने है। वर्तमान में ही हम देख रहे हैं कि ड्रोन का कितना विविध इस्तेमाल होने लगा है।
तमाम क्षेत्रों में हो रहा ड्रोन का इस्तेमाल
हाल ही में बीटिंग रिट्रीट के दौरान 1000 ड्रोन का शानदार प्रदर्शन पूरे देश ने देखा। केवल इतना ही नहीं आज स्वामित्व योजना के तहत गांव में ड्रोन के जरिए जमीन का, घरों का हिसाब-किताब तैयार हो रहा है, ड्रोन के जरिए दवाओं की सप्लाई हो रही है और तो और मुश्किल इलाकों में वैक्सीन पहुंच रही है। अब जब देश में कई जगहों पर खेतों में भी दवाओं का छिड़काव ड्रोन से शुरू हो गया है तो इसे अब इस दिशा में एक ”न्यू एज रिवोल्यूशन” की शुरुआत माना जा रहा है।
भारत में ड्रोन स्टार्टअप का नया इको सिस्टम हो रहा तैयार
भारत में ड्रोन स्टार्टअप का एक नया इको सिस्टम तैयार हो रहा है। अभी देश में 200 से ज्यादा ड्रोन स्टार्टअप काम कर रहे हैं। बहुत जल्द ही इनकी संख्या हजारों में पहुंच जाएगी। इससे ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में भी रोजगार के लाखों नए अवसर खुल जाएंगे। आने वाले समय में भारत का बढ़ता सामर्थ्य पूरी दुनिया को ड्रोन के क्षेत्र में नया नेतृत्व देगा।