भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाते हैं जन्माष्टमी उत्सव

Janmashtmi Janmashtmi2भारतीय संस्कृती व सनातन पर्व मूलतः शास्त्र धर्मसिंधु के आधार पर मनाए जाते हैं। शास्त्र धर्मसिंधु के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में ठीक रात 12 बजे हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व शास्त्र धर्मसिन्धु तथा ज्योतिष के महूर्त खंड की पूर्णिमान्त प्रणाली अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाते हैं। इसकी पुष्टि पद्म पुराण, मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण में कृष्ण माहात्म्य में विशिष्ट रूप से की गई है। ज्योतिष के महूर्त खंड की अमान्त प्रणाली अनुसार श्रावण भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव अर्थात जन्माष्टमी का पर्व श्रावण माह के कृष्णपक्ष को मनाया जाता है। पौराणिक मतानुसार कृष्ण जन्म हेतु भाद्रपद, अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र को मूल माना जाता है।
इस बार जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी। वैष्णव सम्प्रदाय 25 को जबकि शैव सम्प्रदाय 24 की रात को ही जन्माष्टमी उत्सव मनाएगा। इसलिए विद्धान भी शैव व वैष्णव मत के अनुसार अलग- अलग मुहूर्त बता रहे हैं। उनके अनुसार इस बार ऐसी जन्माष्टमी 52 साल बाद आई है जो पूरे देश के लिए अति फलदायी है। ज्योतिष विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार 24 व 25 की मध्यरात्रि को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। 25 को अष्टमी व वृषभ का चंद्रमा रहेगा, जो भगवान कृष्ण के जन्म के समय था। रोहिणी नक्षत्र 12.5 बजे लगेगा, अत: जन्माष्टमी 25 को ही मनाना शास्त्र सम्मत है। पं। हरिशंकर जोशी ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक भाद्रपद कृष्ण पक्ष की सायान्हवयापिनी अष्टमी रात्रि 12 बजे है, उस दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। 24 की रात्रि 10.18 तक अष्टमी तिथि लगेगी, जो दूसरे दिन अर्थात् 25 की रात्रि आठ बजे तक रहेगी। पं। अरविंद कुमार कहते हैं कि श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की विधि अनुसार तिथि का ही सबसे ज्यादा महत्व होता है। वहीं पं। अरूण शास्त्री ने कहा कि इस वर्ष रात्रिकालीन अष्टमी तिथि 24 को मिल रही है। अत: शैव मत वाले 24 को वैष्णव मत वाले 25 को जन्माष्टमी धूमधाम से मनाएंगे।
बताया जा रहा है कि इस बार की जन्माष्टमी पर वही संयोग बनने जा रहा है जो भगवान कृष्ण के जन्म पर बना था। इस बार माह, तिथि, वार और चंद्रमा की स्थिति वैसी ही बनी है, जैसी भगवान कृष्ण जन्म के समय थी। इस बार इस दिन बहुत ही विशेष संयोग हैं। इस दिन अष्टमी उदया तिथि में और मध्य रात्रि जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा। जिसके कारण इस दिन पूरा करना काफी फलदायक साबित हो सकता हैं।

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