अनजान घरों के चिराग को बुझने से पहले सुरक्षित कर रहे हैं हेलमेट मैन

हेलमेट मैन अनजान घरों के चिराग को बुझने से पहले सुरक्षित कर रहे हैं. निशुल्क हेलमेट बांटने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके राघवेंद्र कुमार सड़क दुर्घटना की लड़ाई में सभी 18 वर्ष के बच्चों को आमंत्रित कर उन्हें एक हेलमेट दे रहे हैं।

अब तक 4000 बच्चों ने उनकी वेबसाइट पर वालंटियर के लिए रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं 12000 हजार लोगों को ट्रैफिक वॉलिंटियर बनाने का उद्देश्य रखे हैं।

करोना महामारी से भी ज्यादा घातक सड़क दुर्घटना है। एकता चौक पर कैमूर जिला बिहार में 18 प्लस बच्चों को हेलमेट दिया जिन बच्चों ने करोना वैक्सीनेशन का टीका लिया था। हेलमेट पाने वालों में से किसी ने अपनों को सड़क हादसों में खोया था तो किसी बच्चे ने उस पल को याद करते हुए आंखों से आंसू निकल आए क्योंकि एक साल पहले ही करोना महामारी में अपने माता-पिता को भी खोया था।

लेकिन जब उन्हें हेलमेट मैन गले लगा कर हेलमेट दिया और कहा आज से आप सब हमारे दोस्त हैं। आज से शपथ लेकर मेरी तरह इस लड़ाई में दूसरों को सड़क सुरक्षा के प्रति ट्रैफिक वालंटियर बनकर देश में जागरूकता का कार्य करना है। क्योंकि किसी की एक छोटी सी गलती किसी परिवार के लिए आंसुओं के सैलाब बन जाती है और परिवार हंसना भी भूल जाता है। इसीलिए पिछले 8 सालों से भारत के 22 राज्यों में सड़कों पर घूम घूम कर हेलमेट बांट कर लोगों को जागरूक कर रहा हूं। जिनके पास शिक्षा नहीं होती है उन्हें पुस्तक देने का प्रयास करते हैं भारत में स्कूल अस्तर पर बच्चों को यातायात नियमों की जागरूकता नहीं मिलने की वजह से आज पढ़े लिखे लोग भी भारत की सड़कों पर ट्रैफिक नियमों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जिन्हें हेलमेट देते हैं उनसे पढ़ी हुई पुस्तक मांग कर गरीब बच्चों को निशुल्क बांटते हैं और उन पुस्तकों से कई जगह लाइब्रेरी का भी निर्माण कराया है अब तक 10 लाख से ज्यादा बच्चे पुस्तकों का लाभ ले चुके हैं. क्योंकि भारत को सड़क दुर्घटना मुक्त बनाने के लिए देश के हर नागरिक तक शिक्षा पहुंचा रहे हैं। हेलमेट मैन के कार्य की प्रशंसा राज्य के मंत्री से लेकर केंद्र के मंत्री तक कर चुके हैं मगर मदद के लिए कोई आगे नहीं आया।

यह कार्य करना हर किसी के लिए आसान नहीं है कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है हेलमेट मैन को हेलमेट मैन आर्थिक परिस्थितियों से लड़ते हुए आज दूसरों की जीवन को बचाने के लिए अपनी संपत्तियों को बेचकर 52 हजार हेलमेट बांट चुके हैं। उनके दिए हुए हेलमेट से कई लोगों की जान बच गई और सैकड़ों परिवार से खुशी और दुआ आशीर्वाद के भी उन्हें फोन आते हैं क्योंकि अपने जीवन के आखिरी सांस तक दूसरों की जान बचाने का शपथ ले चुके हैं।

आज सड़क दुर्घटना की महामारी में भारत मौत के आंकड़ों में विश्व के पहले स्थान पर है। सरकारी तंत्र सड़क हादसों को रोकने के लिए सिर्फ घोषणा और खबरों तक ही सीमित हैं। सड़क हादसों के प्रति लोगों में जुनून लाने में कोसों दूर है। आज हेलमेट मैन सड़क हादसों को रोकने में भारत ही नहीं बल्कि विश्व में अपनी पहचान बना रखे हैं।

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