पद्म श्री गीता चंद्रन के भरतनाट्यम और इंस्टीट्यूट ऑफ मणिपुरी परफॉर्मिंग आर्ट्स की मणिपुरी नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों को मोहा

पटना:आज पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में पद्म श्री पंडित हरी उप्पल जयंती के दूसरे दिन समारोह की शुरुआत पद्म श्री गीता चंद्रन एवं उनके दल के द्वारा आदि शंकराचार्य के शिव महापंचाक्षर श्लोक से हुई।पद्म श्री गीता चंद्रन द्वारा आदि शंकराचार्य के शिव महापंचाक्षर श्लोक पर की गई प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नृत्य की इस क्रम में उनके नाट्य वृक्ष नृत्य समूह, नई दिल्ली के द्वारा प्रस्तुत किये गए त्रिधारा आलारिप्पु, कटाना वेदाना और संकीर्तन ने दर्शकों को सम्मोहित कर दिया।

नाट्य वृक्ष नृत्य समूह के सभी कलाकारों के बारे में बताते हुए पद्म श्री गीता चंद्रन ने कहा कि इस ग्रुप में जो भी सदस्य है वो नृत्य के अलावा अलग-अलग प्रोफेशनल क्षेत्रों के विशेषज्ञ हैं , कोई लन्दन स्कूल ऑफ स्कूल से इकोनॉमिस्ट है, कोई डॉक्टर है, कोई डिज़ाइनर है तो कोई सोशियोलॉजी के विशेषज्ञ हैं। नृत्य इन सभी के लिए एक जूनून है। श्रीमती चंद्रन ने कहा कि आज राधा अष्टमी है और इस अवसर पर हमारा नृत्य समूह एक रास की प्रस्तुति देंगे।

कार्यक्रम के दौरान इंस्टीट्यूट ऑफ मणिपुरी परफॉर्मिंग आर्ट्स के द्वारा मणिपुरी नृत्य के वसंत रास का प्रस्तुतीकरण दिया गया। वसंत रास, पांच पारंपरिक मणिपुरी रासलीलाओं में से एक है, जो भगवान कृष्ण के श्रृंगार रस की भागवत परंपरा पर आधारित है, जैसा कि मणिपुर के महान गुरु ने कल्पना की थी।

कार्यक्रम के पश्चात सभी कलाकारों का सम्मान अंगवस्त्रम और प्रतिक चिह्न भेंट कर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा के द्वारा किया गया। इस दौरान प्रधान सचिव, पशु एवं मतस्य संसाधन विभाग, बिहार डॉ एन विजयालक्ष्मी , अपर सचिव श्री दीपक आनंद उपस्थित रहे। समापन समारोह को संबोधित करते हुए श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा ने कहा कि पद्म श्री पंडित हरी उप्पल जी की जयंती पर आयोजित यह दो दिवसीय समारोह काफी सफल रहा और इसके लिए मैं सभी कलाकारों की आभारी हूँ । कला, संस्कृति एवं युवा विभाग आगे भी इस प्रकार के आयोजन करता रहेगा।

आज के कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के वरीय पदाधिकारी, रंगकर्मी, गणमान्य नागरिक, कला प्रेमी, कलाकार, आम नागरिक, मीडियाकर्मी सहित लगभग300 लोग उपस्थित रहे । कार्यक्रम का मंच संचालन रंगकर्मी श्रीमती सोमा चक्रवर्ती के द्वारा किया गया।

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