पटना। पूर्व मध्य रेल के विभिन्न स्टेशनों व रेलखंडों पर धरना प्रदर्शन के कारण पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार से खुलने व पहुंचने वाली ट्रेनों का परिचालन दूसरे दिन भी अवरूद्ध रहा जिससे यात्रियों को काफ ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
धरना प्रदर्शन के दौरान 60 से अधिक कोच तथा 10 से अधिक इंजन को आग से क्षतिग्रस्त किया गया। इसके अलावा कई स्टेशनों पर अवस्थित रेल संपत्ति को भारी नुकसान पहुँचाया गया है। रेलवे इसका आकलन एवं मूल्यांकन कर रही है। रेल प्रशासन अब सुरक्षा, संरक्षा एवं कानून व्यवस्था के समीक्षा एवं सुनिश्चितता के उपरांत ही ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ करेगी।
पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि इस प्रदर्शन में फंसे यात्रियों की मदद के लिए पूर्व मध्य रेल द्वारा फं से यात्री की मदद के लिए पूर्व मध्य रेल द्वारा कई कदम उठाये गये हैं। सभी प्रमुख स्टेशनों पर हेल्पलाइन नंबर की स्थापना की गयी है।
स्टेशनों पर फंसे यात्रियों को निकालने हेतु वाणिज्य विभाग एवं रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारियों की नियुक्ति कर उन्हें हर संभव मदद पहुँचायी गयी। इच्छुक यात्रियों को प्राथमिकता के आधार पर टिकट की वापसी सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त टिकट काउंटर भी खोले गए हैं। टिकट वापसी हेतु अतिरिक्त समय के साथ चालू काउंटर खोल दिया गया है ताकि देर रात की वापसी सुनिश्चित की जा सके।
धनवापसी पर कैंसिलेशन चार्ज नहीं लिया जा रहा है। अत्याधिक टिकट कैंसिलेशन के मद्देनजर स्टेशनों पर नकदी की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। फंसे हुए यात्रियों को पानी, चाय और खाना की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। यात्रियों का मार्गदर्शन करने के लिए कई स्थानों पर टिकट चेकिंग स्टाफ की नियुक्ति की गयी है। हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से भी यात्रियों द्वारा मांगी गयी सहायता एवं भोजन उपलब्ध कराया गया ।
इसके साथ ही दानापुर मंडल के जमानिया स्टेशन पर 13258 के यात्री की मांग पर एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। इसी ट्रेन में एक महिला यात्री ने एक बच्चे को जन्म दिया। इस महिला यात्री को गर्म पानीए दूध एवं अन्य सहायता उपलब्ध करायी गयी। एक ओर जहां प्रदर्शनकारियों द्वारा रेल संपत्ति को नुकसान पहुँचाया जा रहा है वहीं गया के निकट ड्यूटी पर तैनात रेलकर्मचारी देवनंदन प्रसाद एवं रामाश्रय कुमार द्वारा अन्य कर्मचारियों की मदद से आग लगे एक कोच को अपनी जान की परवाह न करते हुए उसे पूरे ट्रेन रेक से अलग कर बाकी कोचों को आग लगने से बचाया गया।