पटना। अगले सप्ताह आने वाले विश्व टीबी दिवस के आगमन से पहले उप मुख्यमंत्री, बिहार, रेणु देवी, ने पिछले दिनों शहर के 3 स्टैंड रोड स्थित अपने निवास से एक एंटी-स्टिग्मा अभियान का उद्घाटन किया। दस जिलों में आठ दिनों तक चलने वाले इस अभियान का नेतृत्व टीबी बीमारी से जीते हुए लोगों का नेटवर्क, ‘टीबी मुक्त वाहिनी’ ने रीच, एनटीईपी और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप के साथ मिलकर किया है।
इस अभियान में भाग ले रहे 10 जिलों से 100 टीबी चैंपियंस में से प्रत्येक अपने जिले में 5 पंचायत सदस्यों से मिलेंगे, उनसे आग्रह करेंगे कि वे संकल्प लें कि वे सुनिश्चित करेंगे कि टीबी बीमारी से प्रभावित लोगों के खिलाफ भेदभाव न हो, और टीबी चैंपियंस का टीबी मुक्त बिहार बनाने के प्रयासों में समर्थन करेंगे।
इस अभियान के माध्यम से, टीबी चैंपियंस टीबी से प्रभावित लोगों के साथ होने वाले कलंक और भेद-भाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके साथ सम्मान-पूर्ण स्वाभाव की वकालत करेंगे। इस अभियान के ज़रिये टीबी मुक्त वाहिनी के सदस्य टीबी से प्रभावित लोगों के प्रति सार्वजनिक और निजी स्थानों में गैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने के तरीकों की भी वकालत करेंगे। पंचायत प्रमुख, अभियान का नेतृत्व करते हुए, समुदाय में टीबी से प्रभावित लोगों का समर्थन करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं और टीबी-मुक्त गाँव बनाने में योगदान दे सकते हैं।
इस अवसर पर बिहार के स्टेट टीबी अफसर डॉ बी के मिश्र भी उपस्थित थे।
*टीबी मुक्त वाहिनी के बारे में*
टीबी-मुक्त वाहिनी (टीएमवी) टीबी पर विजय प्राप्त कर चुके हुए लोगों का पहला इस प्रकार का नेटवर्क है। टीएमवी का जन्म 2017 में बिहार में टीबी सरवाइवर्स के लिए पहली क्षमता विकास कार्यशाला के परिणामस्वरूप हुआ था। सात जिलों के तेरह टीबी चैंपियंस ने टीएमवी के गठन की घोषणा की, और टीबी के लिए एक अधिकार-आधारित, व्यक्ति-केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में काम करने का उनका इरादा है। टीएमवी ने विभिन्न टीबी से प्रभावित लोगों का सहयोग किया है, समुदाय में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाया है और टीएमवी सदस्य राष्ट्रीय, राज्य और जिला टीबी मंचों का हिस्सा हैं। टीएमवी अब सोसायटी अधिनियम के तहत एक कानूनी रूप से पंजीकृत निकाय है। टीएम्वी में बिहार के 17 जिलों से 400 से अधिक सदस्य हैं।
*REACH के बारे में*
रिसोर्स ग्रुप फॉर एजुकेशन एंड एडवोकेसी फॉर कम्युनिटी हेल्थ (रीच) की स्थापना 1999 में तमिलनाडु में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) जारी होने की प्रतिक्रिया के रूप में हुई थी । टीबी चैंपियंस को क्षमता निर्माण कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया था, जिसे स्टॉप टीबीशिप द्वारा समर्थित सीएफसीएस परियोजना के तहत रीच के जनादेश के अनुसार आयोजित किया गया था।