पटना, कदम कुआं स्थित “श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर” में आयोजित हुआ दशलक्षण पर्व। दशलक्षण पर्व के अवसर पर “प्रथम उत्तम क्षमा” के दिन भोपाल से आये, पंडित प्रकाश चंद जैन शास्त्री के निर्देशन में एवं संगीतकार संतोण जैन एंड पार्टी के संगीत में प्रातः काल “भक्ति पूजन विधान” का आयोजन किया गया।
पंडित प्रकाश चंद शास्त्री ने उत्तम क्षमा धर्म पर चर्चा करते हुए बताया कि यदि अपने जीवन में सुख शांति चाहते हैं तो जीवन में उत्तम क्षमा को धारण करना होगा। यदि इस पर तुरंत चर्चा करें तो “क्षमा” का सीधा संबंध क्रोध को जीतने से है।
जब तक जीवन में क्रोध रहेगा, तब तक जीवन में क्षमा का भाव उत्पन्न नहीं होगा। क्षमा के लिए जीवन में सर्वप्रथम क्रोध को रोकना होगा और जीवन में यह भाव लाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर जितने भी जीव है, उनको किसी से कोई बैर नहीं है और न ही कोई शत्रुता है। सभी मित्र हैं। जब सभी लोगों से मित्रता का भाव हमारे जीवन के अंतरंग में आ जायेगा तो वही क्षमा भाव, उत्तम क्षमा का रूप, ले लेगा और ऐसी क्षमा से ही, जीवन में शांति का वास होगा।
अन्यथा जीवन में क्रोध की आग से लोग जलने लगेंगे। देखा जाय तो आज सारा संसार क्रोध की आग में जल रहा है। जीवन में शांति रहे, इसलिए आज का पाठ “उत्तम क्षमा” को जीवन में उतार लेना चाहिए।