(डा. नम्रता आनंद) पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. ये एक जोखिमभरा काम है. कई बार पत्रकारिता करते हुए पत्रकारों पर हमले हो जाते हैं। अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर काम करने वाले पत्रकारों की आवाज को कोई ताकत न दबा सके, इसके लिए उन्हें स्वतंत्रता मिलना बहुत जरूरी है. हर साल इस उद्देश्य के साथ 03 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की। तब से आज…
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आज की सैर झंडे वाली माता की !
कमल की कलम से ! यदि आप दिल्ली में रहते हैं तो आपने झण्डे वाली माता मन्दिर का नाम अवश्य सुना होगा पर यदि यहाँ गये नहीं होंगे तो इस मंदिर का महत्व नहीं जान पायेंगे. आपको आश्चर्य होगा कि यह मन्दिर दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके में मौजूद होते हुए भी पर्वत पर मौजूद है. क्योंकि झंडेवालान इलाका अरावली पर्वत माला पर स्थित है.ये एक जमाने में पहाड़ी और हरा भरा इलाका हुआ करता था. ऊंचाई पर होने की वजह से उस वक्त लोग यहां घूमने आते थे. झंडेवालान…
Read Moreमजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से मनाया जाता है मजदूर दिवस
(डा. नम्रता आनंद) पटना, 01 मई मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल दुनियाभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है। मजदूरों के नाम समर्पित यह दिन 01 मई है। मजदूर दिवस को लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे के नाम से भी जाना जाता है। श्रमिकों के सम्मान के साथ ही मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के उद्देश्य से भी इस दिन को मनाते हैं, जिससे मजदूरों की स्थिति समाज में मजबूत हो सके। इस दिवस को पहली बार 1889 में मनाने का…
Read Moreदिल्ली डायरी : सैर दिल्ली के मीनारों की
कमल की कलम से ! कुतुबमीनार के बारे में सभी जानते हैं पर हम आपको कुछ ऐसी मीनारों की सैर कराते जा रहे हैं जो लोगों की नजर में बिल्कुल ही नहीं है.लोग इनके बारे में बिल्कुल नहीं जानते हैं.जैसे हस्तसाल मीनार,स्वतंत्रता संग्राम मीनार,चोर मीनार की एक एक करके इस तरह के हर मीनारों की सैर हमने कराया है.अब आप सभी तैयार हो जायें आज के अद्भुत मीनार की सैर को.आज आपको ले चलते हैं कोस मीनार के सैर पर. जी हां कोस मीनार. जानकारी एकत्रित किया तो पता चला…
Read Moreभारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के हीरो थे बाबू वीर कुंवर सिंह
(डा. नम्रता आनंद) बिहार के शाहाबाद (भोजपुर) जिले के जगदीशपुर गांव में जन्में बाबू वीर कुंवर सिंह का जन्म 1777 में हुआ। इनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह था। वह प्रसिद्ध शासक भोज के वंशजों में से थे।उनका बचपन खेल खेलने की बजाय घुड़सवारी, निशानेबाज़ी, तलवारबाज़ी सीखने में बीता था।उन्होंने मार्शल आर्ट की भी ट्रेनिंग ली थी , माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद भारत में वह दूसरे योद्धा थे। जिन्हें गोरिल्ला युद्ध नीति की जानकारी थी।अपनी इस नीति का उपयोग उन्होंने बार-बार अंग्रेजों को हराने…
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