“सखी सैंया तो खूब ही कमात हैं मँहगाई डायन खाए जात है” जैसे गीतों के साथ बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के सोलहवें राज्य सम्मेलन का हुआ आयोजन

बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के सोलहवें राज्य सम्मेलन का दूसरा सत्र नामवर सिंह नगर के महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन सभागार में आयोजित किया गया।

पहले दिन के उद्घाटन एवं अंतिम सत्र में छपरा इप्टा के कलाकारों ने स्वागत गीत, जनगीतों, सूफी गीतों और ग़ज़लों की प्रस्तुति की।

उद्घाटन सत्र में स्वागत गीत, उद्बोधन गीत जिन्दगी की गीत पर यकीं कर की प्रस्तुति की। कंंचन बाला ने कहब त लाग जाई धक से, रंजीत गिरि ने जनता के आवे पलटनिया हिलेला झकझोर दुनिया, शरद आनन्द ने सखी सैंया तो खूब ही कमात हैं मँहगाई डायन खाए जात है और आहि हो दादा वृद्धा पेंशन खाई गइले मुखिया जैसे गीत प्रस्तुुत किए।

शाम के सत्र की शुरुआत इप्टा ने रंजीत गिरि के नेतृत्व में भिखारी ठाकुर के मंगलाचरण से की। फिर शरद आनन्द ने आई हो दादा वृद्धा पेंशन खाई गईले मुखिया, दमादम मस्त कलंदर, रंजीत गिरि ने जनता के आवे पलटनिया, बारसमासा, शेखर सुमन यादव ने सुख दर्पण दीवार के अंदर, परदेशी ये बात न पूछो आदि गीतों की प्रस्तुति की। संगत श्याम सानू और विनय विनीत ने तथा संचालन अमित रंजन द्वारा किया गया।

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