क्रांति की राह पर बिहार, बढेगी विकास की रफ्तार

   सुनिता कुमारी ‘ गुंजन ‘
क्रांति बदलाव का द्योतक है। इससे परिवर्तनकारी युग का सूत्रपात होता है। आज बिहार भी क्रांति के नये दौर से गुजर रहा है। जिससे यहाँ सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगी है। एक साथ कई क्रांतियों को गति प्रदान करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें ऊर्जा लगा रही हैं। इस ऊर्जा से हरित क्रांति के साथ नीली, श्वेत और मीठी क्रांति की गति बढाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे यहाँ विकास की रफ्तार को बढाया जा सके। साथ ही केन्द्र की सरकार द्वारा अलग – अलग योजनाओं में निवेश किये जा रहे हैं ताकि  ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए ‘आत्मनिर्भर बिहार’ का निर्माण किया जा सके।
इसी कड़ी में 10 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी से संबंधित 294.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इससे  यहाँ नीली और श्वेत क्रांति की गति तेज की जा सकेगी। उन्होंने पटना, बेगूसराय, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मधेपुरा, पूर्णिया और किशनगंज जिलों के लिए अनेक योजनाओं की घोषणा की। मछली उत्पादन को बढावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ का उद्घाटन किया। 2020 – 21 से  2024 – 25 तक के पांच वित्तीय वर्षों में इस योजना को सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाना है। इस योजना पर 20,050 करोड़ का निवेश होना है। जिसमें 12,340  करोड़ का निवेश समुद्री, अन्तर्देशीय मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि लाभार्थी केन्द्रित गतिविधियों पर तथा 7,710 करोड़ फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए प्रस्तावित है। अब तक मत्स्य विभाग ने योजना के प्रथम चरण में 21 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों जिसमें बिहार भी शामिल है, के लिए  1723 करोड़ की राशि के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। जिनमें आय सृजित गतिविधियों को प्राथमिकता दी गई है । इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में मछली उत्पादन को बढा कर वर्ष 2024 – 25 तक अतिरिक्त उत्पादन 70 लाख टन करना और मछली निर्यात से प्राप्त आय को एक लाख करोड़ तक पहुँचाना है जिससे मछुआरों एवं मत्स्य किसानों की आमदनी दोगुनी हो सके।
बिहार में मत्स्य उद्योग को बढावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने मत्स्य संपदा योजना के तहत सीतामढी में ‘मछली ब्रूड बैंक’ एवं किशनगंज में ‘एक्वाटिक डिजीज रेफरल अस्पताल’ की स्थापना की घोषणा की। मछली ब्रूड बैंक की स्थापना से मत्स्य किसानों के लिए गुणवत्ता पूर्ण एवं सस्ती मछली बीज का समय पर उपलब्धता सुनिश्चित हो पाएगी। एक्वाटिक डिजीज रेफरल अस्पताल मछलियों के रोग निवारण के साथ मिट्टी और पानी के परिक्षण की सुविधा प्रदान करेगा। ये सारी सुविधाएं मछली उत्पादन को बढाने में सहायक सिद्ध होंगी। उन्होंने डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर में व्यापक मछली उत्पादन प्रौद्योगिकी केन्द्र का भी उद्घाटन किया। यह केन्द्र मछली बीज उत्पादन प्रौद्योगिकी, मछली के लिए प्रदर्शन इकाई प्रौद्योगिकी, रेफरल प्रयोगशाला और परीक्षण की सुविधाओं के साथ मत्स्य किसानों की क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान करेगा । इन सभी संस्थानों का सम्मिलित प्रयास से बिहार में नीली क्रांति की गति तेज होगी । इस क्रांति के तहत प्रधानमंत्री ने मधेपुरा निवासी ज्योति मंडल के ‘फिस फीड मील’ और पटना के राजू कुमार की ‘ फीस आॅन व्हील ‘ का भी उद्घाटन किया तथा बिहार के युवाओं को मछली उद्योग से जुड़कर आत्मनिर्भर होने के लिए प्रेरित किया ।
प्रदेश में श्वेत क्रांति की रफ़्तार को बढाने के लिए दुग्ध एवं डेयरी उत्पादों के उत्पादन को बढाने के उद्देश्य से पशुपालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री ने विगत 10 सितम्बर को  ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के तहत पूर्णिया में स्थापित की गई अत्याधुनिक ‘वीर्य केन्द्र’ का उद्घाटन किया।  यह सरकारी क्षेत्र के सबसे बड़े वीर्य केन्द्रों में से एक है। इसकी क्षमता 50 लाख वीर्य खुराक प्रति वर्ष है। यह बिहार के स्वदेशी नस्लों के दुधारू पशुओं के विकास में सहायक होगा और पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में वीर्य खुराक की मांग की भी आपूर्ति करेगा।इस मिशन के तहत पटना स्थित पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में IVF लैब स्थापित की गई तथा बेगूसराय में बरौनी मिल्क यूनियन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान में पृथक्कृत वीर्य के उपयोग का भी शुभारंभ किया गया। इस तकनीक से गाये सिर्फ मादा बच्चों को जन्म दे पाने में सक्षम होगी जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने ‘ई गोपाला’  एप को भी लांच किया । इस एप पर पशुपालकों को पशुओं से संबंधित सभी प्रकार की सूचनाएँ आसानी से मिल पाएंगी।

प्रधानमंत्री ने मीठी क्रांति के तहत शहद उत्पादन के लिए किसानों को आगे आने का आह्वान किया। ‘प्रधानमंत्री गरीब रोजगार योजना’ के तहत प्रदेश के युवाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आज कई युवा शहद उत्पादन को अपने आत्मनिर्भरता का जरिया बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति के जरिये विकास कि रफ़्तार बढाने के लिए सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है। वैश्विक स्तर पर जैविक कृषि उत्पादों की बढती मांग को देखते हुए केन्द्र एवं राज्य सरकार ने  जैविक खेती को बढावा देने के प्रयासों को तेज किया है। बिहार के कई कृषि उत्पादों की मांग राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर लगातार बढ रही है जिसमें कतरनी चावल, मखाना, लीची, जर्दालू आम इत्यादि प्रमुख हैं। कृषि महाविद्यालयों एवं अनुसंधान केन्द्रों में फसलों की अच्छी पैदवार के लिए उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन किया जा रहा है  तथा समय – समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर किसानों को जैविक कृषि के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। दरभंगा, सहरसा, किशनगंज, समस्तीपुर, मधुबनी आदि जिलों में मखाना की खेती को बढावा देने के लिए सरकार किसानों को सुविधा मुहैया करा रही है। प्रधानमंत्री ने ‘जय जवान, जय किसान और जय अनुसंधान’  के मंत्र से ग्राामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया ।
 बिहार एक घनी आबादी वाला प्रदेश है। यहाँ बड़े उद्योग को लगाना संभव नहीं है क्योंकि इन उद्योगों को लगाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है। यहाँ की अर्थव्यवस्था पूर्णतः कृषि आधारित है। अतः केन्द्र और राज्य की सरकारें यहाँ कृषि और पशुपालन को प्रोत्साहित कर रही हैं। इसके लिए किसानों एवं पशुपालकों को बैंकों से ऋण प्राप्त करने की शर्तों को आसान बनाया गया है साथ ही सब्सिडी एवं अनुदान प्रदान करने के प्रावधान भी किये गये हैं। लेकिन दुखद बात यह है कि इन योजनाओं की जानकारी के अभाव एवं बैंकों के असहयोगात्मक रवैया के कारण हमारे किसान और नौजवान इनके लाभ से वंचित रह जाते हैं जिससे विकास को वांछित गति नहीं मिल पाती है। उम्मीद है आने वाले दिनों में सरकार इन दिक्कतों को दूर कर योजनाओं को हकीकत के धरातल पर उतार सकने में सफल हो पाएगी ताकि हमारे किसान और नौजवान इन योजनाओं से लाभान्वित होकर आत्मनिर्भर बन सकें। हमें यह समझना होगा कि ‘आत्मनिर्भर बिहार’ का स्वप्न ‘आत्मनिर्भर गाँव’ के लक्ष्य को हासिल किये बिना पूरा नहीं हो सकता है। हमारे गाँवों में हमारे देश की आत्मा बसती है। गाँव देश की इकाई हैं। विकसित और आत्मनिर्भर गाँव ही विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के हमारे सपने को साकार कर सकते हैं ।
सुनिता कुमारी ‘ गुंजन ‘

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