बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बेगूसराय गोलीकांड में बेगूसराय अस्पताल जाकर पीड़ित एवं उनके परिजनों से भेंट की एवं गोलीबारी की इस घटना को अत्यंत शर्मनाक एवं दुःखद है।
उन्होंने कहा की 30 से 40 किलोमीटर तक अपराधी फायरिंग करते हुए चले जा रहे थे। और चार थाना एवं पेट्रोलिंग में लगी टीम द्वारा कहीं भी रोक टोक नहीं होने पर आश्चर्य व्यक्त किया। तथा कहा कि यह राज्य में पुलिस व्यवस्था की बदहाल स्थिति को दर्शाता है। श्री सिन्हा ने कहा कि गृह विभाग की कमान विगत 17 वर्षों से माननीय मुख्यमंत्री ने स्वयं संभाला जा रहा है।
लेकिन आज पुलिस प्रशासन जिस कमजोर एवं बदहाल स्थिति में है यह कभी नहीं हुआ है यह राज्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। उनके अदूरदशीता का ही परिणाम है कि पुलिस प्रशासन मात्र बालू एवं दारू के उगाही में संलिप्त है। एवं ऊपर से नीचे तक सभी पुलिस पदाधिकारी अपना स्वाभाविक कार्य कानून व्यवस्था ठीक रखना, अपराध नियंत्रण करना आदि में कोई रुचि नहीं ले रहे है।
बिहार पुलिस का मुखिया फोन करने पर फोन नहीं उठाते हैं खुद को सत्ता द्वारा सुरक्षित समझे जाने के कारण पुलिस महानिदेशक जनप्रतिनिधियों को कुछ नहीं समझते हैं। जिला में पुलिस अधीक्षक को फोन करने पर कोई इंटररेस्ट नहीं लेते है। आज प्रशासनिक सूझबूझ और क्षमता को दरकिनार कर अपने चहेते लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बिठाने नतीजा सामने आ रहा है। पुलिस महानिदेशक का अहम पद एक गैरजिम्मेदार और लापरवाह अधिकारी को देकर स्वयं बिहार में हो रही आपराधिक घटनाओं के मूकदर्शक बने बैठे हैं। मैं के बूढ़े एवं बेकार अधिकारियों को सेवानिवृत्ति दी जाए और मैं ईमानदार पदाधिकारियों को जिले में जगह दी जाए।
आज बेगूसराय में हुए दुर्भाग्यपूर्ण गोलीकांड की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री जी को गृह विभाग से तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। वैसे भी दास भाव से उनके गुण गाने वाले उनके समर्थक अक्सर चीख चीख कर बताते रहते हैं। गैसल ट्रेन दुर्घटना (1999) के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेलमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था ।आज भी नैतिकता का वही मानदंड लोगों के सामने रखने का वक़्त है । साथ ही अपने पुलिस महानिदेशक को तत्काल हटाकर कर उनसे भी बिहार की जनता को मुक्ति दिलाएं ।