बांग्लादेश से कब घर आयेगा बिहार का बेटा,मिशन कैदमुक्त@सतीश चौधरी

बिहार  :-  के दरभंगा के एक गरीब परिवार का दिमागी रूप से कमजोर बेटा सतीश चौधरी बांग्लादेश के जेल में पिछले 11 साल से बंद है।  इस गम में उसके पिता गुजर गये।

 

 

बांग्लादेश में 11 साल से कैद एक “गरीब” की वापसी हेतु विशाल दफ्तुआर का संधान

उसकी माँ,बीबी,दो छोटे बच्चे और भाई बेहद दुखी हैं, और उसकी घरवापसी हेतु टकटकी लगाये हैं।पिछले 11 सालों में उसका छोटा भाई मुकेश चौधरी बिहार के मुख्यमंत्री के जनता दरबार समेत कई मंचों पर अपने भाई की घरवापसी हेतु फरियाद लगा चुका है, लेकिन मामला चूंकि एक ‘गरीब” का है, तो परिणाम ढाक के तीन पात वाले ही रहे?

थक हारकर उसने 31 जुलाई को “चीफ जस्टिस आफ इंडिया” से सम्मानित मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।

कई प्रमुख हस्तियों को लिखा पत्र, हाई कमीशन आफ इंडिया ने दिया जवाब

श्री दफ्तुआर ने मामले पर तुरंत संज्ञान लेतु हुये भारत एवं बांग्लादेश के प्रधानमंत्री, भारतीय विदेश मंत्री एवं हाई कमीशन आफ इंडिया, ढाका,बांग्लादेश को ईमेल भेजकर त्वरित कारवाई करने का अनुरोध किया ताकि शीघ्र उसकी घरवापसी हो सके।

हाई कमीशन आफ इंडिया, बांग्लादेश के एटैचे काउंसलर ने व्हाट्सएप (+880-1-944-499799)के माध्यम से विशाल दफ्तुआर को बताया कि इस वक्त गलत प्रवेश के मामले में वो बांग्लादेश के चाऊडांगा जेल(Chaudanga Jail)में कैद है।

एटैचे काउंसलर ने दरभंगा के डीएम का संपर्क नंबर मांगा ताकि उनके पास इसकी(सतीश चौधरी) भारतीय नागरिक होने का वेरिफिकेशन करवाने हेतु पत्र भेजा जा सके।

  15 अगस्त तक घरवापसी करवाने की कोशिश

श्री दफ्तुआर ने मांगी गई डिटेल्स को तुरंत उपलब्ध करवाते हुये दरभंगा के डीएम से भी त्वरित सहयोग करने हेतु कल बातचीत की।

इस बारे में मानवाधिकार कार्यकर्ता श्री दफ्तुआर ने बताया कि उनकी कोशिश होगी कि यह शीघ्र बांग्लादेश के जेल से आजाद होकर अपने घर आ जाये।  15 अगस्त तक घरवापसी करवाने की कोशिश है।

उन्होंने बताया कि गलत प्रवेश के लिये निर्धारित सजा से ज्यादा की कैद वो काट चुका है।

श्री दफ्तुआर ने अपने पत्र में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मानवता के आधार पर इस बंदी को तत्काल रिहा करने की अपील की है।

उन्होंने बताया कि मामला एक गरीब का है, इसलिये यह हाई प्रोफाईल नहीं बन सका। और हर जगह इसकी उपेक्षा की गई जो सरकार और संस्थाओं की कार्यशैली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है ?

विदेश मंत्री के स्तर पर भी कारवाई शुरु।  आज विदेश मंत्री डा एस जयशंकर को भेजे गये ईमेल पर भी हुई त्वरित कारवाई शुरू होने की खबर है।

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