विज्ञान एवं अध्यात्म के समन्वय शिखर थे आर्यभट्टï-डॉ शिवनारायण

पटना।  आईएमए सभागार में ज्योतिषाचार्य पंडित जनार्दन पांडेय की स्मृति में आर्यभट्ट विचार मंच के तत्वावधान में काव्यांजलि सह भारत की विरासत एवं आर्यभट विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका एवं स्वच्छता अभियान पटना की ब्रांड एंबेसडर डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि भारत की विरासत आर्यभट्टï के बिना अधूरी है। आर्यभट्टï ने दुनिया को शून्य की समझ दी जिसके फ लस्वरूप सैकड़ों सालों तक भारत ने गणित के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व किया। आज खगोल विज्ञान में दुनिया में जितनी भी उपलब्धियां हासिल की है उसमें आर्यभट्टï का योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्हीं की देन है कि आज खगोल विज्ञान नए नए शोध कर रहा है। अंतरिक्ष से संबंधित गणना के लिए उन्होंने बिहार के दो केंद्रों खगोल और तारेगना को उत्तम माना। अपने अध्यक्षीय भाषण में नई धारा के संपादक डॉ शिवनारायण ने कहा कि विज्ञान, अध्यात्म एवं धर्म एक दूसरे के विपरीत होने की अवधारणा विदेशों की है। भारत की अवधारणा है कि विज्ञान एवं अध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं। अध्यात्म एवं विज्ञान में एक जैसी समानताएँ और एक जैसे विरोधाभास हैं। मुख्य वक्ता एवं थावे विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ पी एस दयाल यति ने अपने संबोधन में आर्यभट्टï की जीवनी एवं उपलब्धियों की विस्तृत चर्चा की एवं बहुत सारे अनछुए पहलुओं को सामने लाया। उन्होंने कहा कि आर्यभट्टï ने समय के साथ आने वाले सिद्धांतों में आज की वैज्ञानिक दुनिया के लिए आश्चर्य प्रकट किया। इनके कामों ने अरब को विशेष रूप से प्रेरित किया। उनकी खगोलीय गणना ने जलाली कैलेंडर बनाने में मदद की। पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट के रूप में नामित किया गया। कार्यक्रम में मंचस्थ अतिथियों के हाथों 10 कवि,गजलकार, पत्रकार एवं समाजसेवियों को सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों में डॉ नीतू कुमारी नवगीत,  रूबी भूषण, डॉ सुधा सिन्हा, योगिराज आर्यन,  विभा रानी श्रीवास्तव, डॉ उमाशंकर सिंह, सिधेश्वर, श्वेता मिनी, रेखा भारती मिश्रा शामिल थे।

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