शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि मिलिट्री को आपातकालीन आर्थिक शक्तियों से लैस किया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक ये शक्तियां मिलिट्री को कोविड-19 महामारी के खिलाफ जारी कोशिशों को मजबूत करने और संकट के समय में जंग को और तेज करने के मकसद से दी गई हैं. आपको बता दें कि देश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर दिन पर दिन और खतरनाक होती जा रही है. शुक्रवार को कुल 4 लाख संक्रमित केस आए हैं.
तीनों सेनाओं को मिली ताकत
कोविड-19 महामारी के बीच सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही अपनी-अपनी तरह से देश की जनता का हाथ बंटा रही हैं.
नौसेना की तरफ से विदेशी तटों पर वॉरशिप्स को रवाना किया गया है ताकि वो लिक्विड ऑक्सीजन से भरे क्रायोजेनिक कंटेनर्स को भारत ला सकें. जो शक्तियां सेनाओं के कमांडर्स को मिली हैं उसके तहत उन्हें क्वारंटाइन फैसिलिटीज को ऑपरेट करने, अस्पतालों को संचालित करने और महामारी के लिए जरूरी सपोर्ट सिस्टम खरीदने की मंजूरी दे दी गई है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘सभी कमांडर्स को मिली ये आर्थिक शक्तियां उन्हें क्वारंटाइन फैसिलिटीज/अस्पतालों को शुरू करने ओर उन्हें संचालित करने, उपकरणों की खरीद, मैटेरियल, स्टोर्स के रखरखाव और कई और सेवाओं में मदद करेंगी.’
कमांडर्स कितना कर पाएंगे खर्च
सेनाओं के उप-प्रमुखों जिसमें इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ भी शामिल है और आर्मी कमांडर्स जिसमें वायुसेना और नौसेना में इनकी बराबर के रैंक्स के अधिकारी भी शामिल हैं, उन्हें ‘फुल पावर’ दे दी गई है. इसके साथ ही कोर कमांडर्स और एरिया कमांडर्स को भी 50-50 लाख रुपए तक खर्च करने की मंजूरी दी गई है. बयान में सेनाओं के उप-प्रमुखों को कितनी आर्थिक शक्तियां दी गई हैं, इस बारे में कोई भी जानकारी विस्तार से नहीं दी गई है.
मंत्रालय का कहना है कि ‘फुल पावर’ का मतलब है कि वित्तीय शक्तियां महामारी के खिलाफ होने वाली प्रतिक्रिया के रास्ते में बाधा न बन सकें. डिविजन कमांडर्स/सब एरिया कमांडर्स और नौसेना, वायुसेना में उनकी बराबर के रैंक्स के अधिकारियों को हर केस पर 20 लाख रुपए तक खर्च करने की मंजूरी है. इस तरह की शक्तियां पिछले वर्ष भी दी गई थीं जब महामारी ने पैर पसारने शुरू किए थे.
सेनाओं की तरफ से मांगी गई थी इजाजत
पिछले दिनों सेना, वायुसेना और नौसेना की तरफ से रक्षा मंत्रालय से उन्हें आपातकालीन आर्थिक शक्तियों से लैस करने की मांग की गई थी. सेनाओं ने सरकार से कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के चलते उन्हें बढ़ते बोझ से निबटने के लिए इन शक्तियों की जरूरत है. सरकार के सूत्रों की तरफ से बताया गया था कि इस प्रस्ताव के तहत सेनाओं ने अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्वारंटाइन फैसिलिटीज को तैयार करने, उन्हें स्टोर्स, राशन और दूसरे सामानों से लैस करने के लिए इन शक्तियों की जरूरत थी. ये आपातकालीन शक्तियां सेनाओं को तीन माह के लिए दी गई हैं.
किस नियम के तहत होता है ऐसा
सेनाओं को ये आर्थिक शक्तियां ‘Schedule 23 of ASP in DFPDS-2016’ के तहत दी गई हैं. DFPDS यानी Delegation of Financial Powers to Defence Services और ASP यानी Army Schedule of Powers. DFPDS-2016 का शेड्यूल 23 आपातकालीन आर्थिक शक्तियों से जुड़ा है. इसके तहत स्टोर्स, उपकरणों, व्हीकल्स की खरीद के अलावा, स्पेशल सर्विसेज को हायर करना, मानवबल या फिर मशीनरी को शामिल करना आता है. साथ ही साथ किसी भी युद्धाभ्यास या ऑपरेशंस के लिए जुड़ा खर्च भी इसमें शामिल होता है.
देश में युद्ध जैसे हालात
इन शक्तियों में मिलिट्री तैयारियों के लिए जरूरी आपातकालीन या तुरंत खरीद को प्राथमिकता दी जाती है ताकि किसी भी युद्ध जैसे हालातों या प्राकृतिक आपदा से निबटा जा सके. शेड्यूल 23 के तहत इन शक्तियों का प्रयोग प्राकृतिक आपदा और युद्ध जैसे हालातों और उस समय होता है जब सरकार की तरफ से किसी घटना को एक ऑर्डर के जरिए युद्ध, प्राकृतिक आपदा या फिर तबाही के तौर पर घोषित किया जाता है. इसके अलावा जब रक्षा मंत्री घोषणा करते हैं और किसी आपातकाल के लिए सैन्य तैयारियों या फिर तुरंत मिलिट्री जरूरतों का आदेश देते हैं तो भी यही नियम लागू होता है.