कोरोना महामारी से उत्पन्न हुए हालातों के कारण दुनिया के लगभग सभी देशों को लाॅक डाउन का सामना करना पड़ा है। हमारे देश में भी लोगों ने एक लंबे समय तक लाॅक डाउन का सामना किया है। इस दौरान लोगों की जीवन शैली में कई प्रकार के बदलाव आये हैं। आपदा के इन दिनों में अपने घरों में रहना लोगों की मजबूरी बन गई तो लोगों ने इसमें अवसर को तलाशा और ‘वर्क एट होम’ के पैटर्न को अपना कर अपने घरों में रहकर काम करने का वर्चुअल तरीका को अपना लिया। इसका सीधा प्रभाव हमारी शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा।
आनलाइन कक्षाएं आयोजित की जाने लगी
लाॅक डाउन के कारण सारे स्कूल, काॅलेज, कोचिंग संस्थान इत्यादि सभी शिक्षण संस्थाएँ बंद हो गई तो छात्रों ने घरों में रहकर ही पढ़ना एवं शिक्षकों ने घरों से ही पढ़ना शुरू कर दिया। इसके लिए आनलाइन कक्षाएं आयोजित की जाने लगी और और पठन – पाठन का भी वर्चुअल तरीका अपना लिया गया।
अब भारत आनलाॅक होने की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहा है। भारत में हुआ लाॅक डाउन दुनिया में हुए सबसे लंबे और सख्त लाॅक डाउन में से एक था। पहले ‘जान है तो जहान है’ के तर्ज पर लाॅक डाउन हुआ फिर ‘जान है जहान भी है’ के तर्ज पर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आनलाॅक होने की प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है जो तीन चरणों में होनी है। अभी इसका पहला चरण है। इस चरण में लगभग सभी संस्थाएँ खोल दी गयी हैं। यहाँ तक कि मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, चर्च इत्यादि पूजा स्थल भी खोल दिए गये हैं परन्तु शिक्षा के मंदिर अब भी बंद पड़े हैं।
लाॅक डाउन के कारण मानव जीवन के हर क्षेत्र में कई तरह के परिवर्तन हुए
इन्हें दूसरे चरण में खोले जाने पर विचार करने की बात कही गयी है। कोरोना काल में लाॅक डाउन के कारण मानव जीवन के हर क्षेत्र में कई तरह के परिवर्तन हुए हैं और ये परिवर्तन व्यापक हैं एवं बहुत ही असरदार साबित हुए हैं। इसका एक असर ये भी हुआ है कि अब अधिकतर कामकाज डिजिटल तरीके से होने लगे हैं। अधिकांश चीजों की खरीद – बिक्री आनलाइन होने लगी है और लेन – देन के भी डिजिटल साधनों को अपनाया जा रहा है। कार्यालयों के कार्य भी आनलाइन किया जाने लगा है। स्वास्थ्य से संबंधित सलाह लोगों तक पहुंचाने एवं उनके स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए सरकारी स्तर पर ‘आरोग्य सेतु’ एप बनाया गया है।
मोदी सरकार ने अपने दूरदर्शी सोच का परिचय देते हुए कोरोना काल से बहुत पहले अपनी पहली पारी में ही ‘डिजिटल इण्डिया’ स्कीम के तहद आनलाइन क्रियाकलापों पर जोर देना शुरू किया था। आज का इण्डिया मोदी सरकार के ‘डिजिटल इण्डिया’ स्कीम का पूरा सदुपयोग करते हुए आपदा को अवसर में बदलने में सफल होता दिख रहा है।
अब तक कोई ठोस निदान नहीं मिल सका
कोरोना महामारी मानव जाति पर आई एक ऐसी विपदा है जिसका अब तक कोई ठोस निदान नहीं मिल सका है परंतु हमारे देश ने इस विपदा का मुकाबला करते हुए मानव जीवन को पटरी पर लाने का जो प्रयास किया है उसी प्रयास के कारण आज हमारा देश इस आपदा को अवसर में बदल सकने में सक्षम हो सका है। इस संदर्भ में राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी की ये पंक्तियां बिलकुल सटीक जान पड़ती हैं –
” सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है।
सूरमा नही विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते।
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं। “
भारत के लोगों ने कोरोना काल की भयानक रात को भी अपने विश्वास के दिये को जलाकर रौशन किया और कोरोना के साथ लड़ाई में अपनी जीत की उम्मीद को बनाये रखते हुए शिक्षण संस्थानों में ताले पड़ जाने के बावजूद भी पठन- पाठन को जारी रखने के लिए अध्ययन- अध्यापन का तरीका बदल कर वर्चुअल शिक्षा की ओर अग्रसर होना शुरू किया। शिक्षा के इस स्वरूप के कई दूरगामी फायदे भी दिख रहे हैं। शिक्षा की इस व्यवस्था से छात्रों का अच्छी शिक्षा के लिए दूसरे शहरों में जाने एवं वहाँ रहने के लिए अतिरिक्त खर्च से निजात मिल जाने की उम्मीद बनी है।
समाज का एक तबका ऐसा भी है जहाँ अभी तक स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर, टेलीविजन जैसे साधन उपलब्ध नहीं हैं
इसके अतिरिक्त आनलाइन कक्षाओं के संचालन से समय की बचत भी होनी तय है लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे देश में समाज का एक तबका ऐसा भी है जहाँ अभी तक स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर, टेलीविजन जैसे साधन उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे परिवारों के बच्चों को आनलाइन कक्षाओं में सम्मिलित हो पाना एवं वर्चुअल शिक्षा का लाभ मिल पाना संभव नहीं हो पा रहा है। इसलिए इन बच्चों के रौशन भविष्य के लिए सरकार को इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।
वर्चुअल शिक्षा के अनेक फायदों के बावजूद इसे स्कूली शिक्षा का आदर्श स्वरूप नहीं माना जा सकता है। वर्चुअल शिक्षा पद्धति से छात्रों को विषय से संबंधित ज्ञान की प्राप्ति तो हो सकती है परंतु समाजिक एवं व्यवहारिक जीवन के लिए आवश्यक शिक्षा उन्हें स्कूलों में शिक्षा की पारंपरिक पद्धति को अपनाने से ही हासिल हो सकती है।
इस कोरोना काल में भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टी ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों एवं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को जारी रखने के लिए वर्चुअल रैली का आयोजन कर भारतीय राजनीति के क्षेत्र में भी एक नये युग का सूत्रपात किया है जिसके कई फायदे सामने आये हैं। कोरोना काल में हुए इन सभी परिवर्तनों के देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि कोरोना आपदा ने कोरोना क्रांति को जन्म दिया जिसके कारण डिजिटल क्रांति संभव हो सका है।
सहायक प्रोफेसर
MJMC (NOU)
(उपयुक्त आलेख दिए गए आंकड़े और विचार लेखक के निजी हैं)