बिहार में सरकारी उदासीनता ने न सिर्फ यहाँ के सिनेमाई कलाकारों की प्रतिभा को कुंठित कर दिया बल्कि सूबे में फ़िल्म विकास को अवरुद्ध कर के रख दिया।पिछले दो दशक से यहाँ प्रस्तावित “फिल्मसिटी” का निर्माण नहीं होना इस बात का जीता जागता उदाहरण है।बिहार के प्रतिभावान कलाकार मुंबई की सड़कों पर धक्के खाने को विवश हैं,जिसकी परवाह करने वाला कोइ नहीं है।ये बातें बिहार सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश संयोजक सह बॉलीवुड अभिनेता अमित कश्यप ने रविवार को एसोसिएशन की ज़िलास्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए आक्रोश व्यकत किया।श्री कश्यप ने कहा देश के कई राज्यों में फ़िल्म निर्माण के लिए सब्सिडी का प्रावधान है पर बिहार में नहीं है जिसके कारण निर्माता यहाँ फ़िल्म निर्माण को आकर्षित नहीं हो पा रहे और कलाकारों को मौका नहीं मिल पा रहा।अब वक्त आ गया है की फ़िल्म से जुड़े कलाकार भी अपने हक़ हुकूक के लिए चरणबद्ध आंदोलन को तैयार रहे अन्यथा बिहार की प्रतिभा असमय दम तोड़ती दिखाई देगी।उक्त अवसर पर चर्चित फ़िल्म निर्माता एवम् एसोसिएशन के संरक्षक दिनकर भारद्वाज ने कहा यदि बिहार के कलाकार एकजुट हो जाएँ तो उनकी प्रतिभा को पहचान भी मिलेगी और सरकार भी उनकी बातों को मानने को विवश होगी।बैठक में सर्वसम्मति से युवा सामाजिक कार्यकर्ता पन्नालाल कुमार को एसोसिएशन का ज़िला संयोजक मनोनीत किया गया।
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