‘गॉड ऑफ फुलबॉल’ डिएगो माराडोना का निधन, तीन दिन का हुआ राष्ट्रीय शोक

दुनिया के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार 1986 वर्ल्ड कप में अर्जेंटीना की जीत के नायक डिएगो माराडोना का बुधवार को ब्यूनस आयर्स में निधन हो गया। इसके साथ ही उस करिश्माई सफर का अंत हो गया, जो हर फुटबॉल फैंस के जेहन में बसता है। दुनियाभर के फुटबॉलप्रेमियों में इस खबर से शोक की लहर दौड़ गई है और सोशल मीडिया पर इस महान फुटबॉलर को श्रद्धांजलि दी जा रही है। वह न केवल करिश्माई खिलाड़ी रहे, बल्कि शानदार कोच भी रहे। मेसी के मेंटॉर रहे तो समय-दर-समय सबसे बड़े आलोचक भी रहे। अर्जेंटीना में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा कर दी गई है।

पेले की ही तरह 10 नंबर की जर्सी पहनने वाले दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में गिने जाने वाले माराडोना 60 साल के थे। पिछले लंबे समय से वह कोकीन की लत और मोटापे से जुड़ी कई परेशानियों से जूझ रहे थे।

दुनिया के महान फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार माराडोना की कप्तानी में ही अर्जेंटीना ने 1986 में विश्व कप जीता था। इस विश्व कप में माराडोना ने कई अहम पल दिए थे जिन्हें आज भी याद किया जाता है जिसमें से सबसे बड़ा और मशहूर पल इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में आया था जब उनके द्वारा किए गए गोल को ‘गोल ऑफ द सेंचुरी’ कहा गया था। उन्होंने 60 यार्ड से भागते हुए इंग्लैंड की मिडफील्ड को छकाते हुए गोल किया था।

फीफा ने उन्हें 2001 में ब्राजील के पेले के साथ खेल के इतिहास के दो महानतम खिलाड़ियों में शामिल किया था। दो सप्ताह पहले ही दिमाग के ऑपरेशन के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी।

अर्जेंटीना के कोच के रूप में उन्होंने 2008 में फुटबॉल में वापसी की, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में 2010 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल से टीम के बाहर होने की गाज उन पर गिरी। इसके बाद वह संयुक्त अरब अमीरात के क्लब अल वस्ल के भी कोच रहे।

 

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