स्पेशल स्टोरी: देश हित में ये चुनाव परिणाम !

(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)

पांच राज्यों में आए चुनाव परिणाम के बाद एक ओर जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है, वहीं भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा है।निश्चित रूप से चुनाव परिणाम के बाद जहां राष्ट्रीय राजनीति में पप्पू समझे वाले राहुल गांधी का कद बढ़ा है,नरेंद्र मोदी और अमित शाह का अभिमान चूर होता नजर आ रहा है।देश की जनता ने यह बता दिया कि वह कितनी विवेकशील है।देश की जनता ने यह समझा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सत्ता पक्ष के साथ- साथ विपक्ष का मजबूत होना भी अति आवश्यक है।अधिक बहुमत किसी को भी अभिमानी बना सकती है।जैसा कि मोदी- शाह और कुछ भाजपा नेताओं के बड़बोले बयानों से साफ झलक रहा था।जिस दिन मोदी और शाह की जोड़ी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया उनके बयानों में उनका अभिमान स्पष्ट नजर आ रहा था।जिस प्रकार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लगातार गांधी परिवार पर हमला बोला वह शर्मनाक है।पप्पू, नाली का कीड़ा,गोरी चमड़ी सरीखे कई शर्मनाक बयान गांधी परिवार के बारे में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने दिया।अमित शाह ने दावा किया था कि अगले 50 साल तक भाजपा का देश में शासन होगा। निश्चित रूप से 2014 के बहुमत ने भारतीय जनता पार्टी में अभिमान भर दिया था।जिसका परिणाम रहा कि भाजपा नेताओं ने न विपक्ष की कद्र की,न ही देश की जनता की।भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अच्छी बात कही कि किसी को भी खुद को जनता का ठेकेदार नहीं समझना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी को आत्मचिंतन की आवश्यकता है और देश के मिजाज को समझने की जरूरत है। उन्हें यह समझना होगा कि जनता किसी की बपौती नहीं होती।जनता सब कुछ समझती है और सही समय पर जवाब देती है।

लेकिन यह बात भी सही है कि इस चुनाव परिणाम से कांग्रेस को भी बहुत अधिक खुश होने की जरूरत नहीं है।छत्तीसगढ़ को छोड़ दें तो राजस्थान में और बेहतर परिणाम हो सकते थे।जबकि मध्य प्रदेश का चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी नहीं है।तेरह साल से अधिक समय तक वहाँ भाजपा सत्ता में रही।इसके बावजूद वहाँ सत्ता का विरोध बहुत अधिक नजर नहीं आया। कांग्रेस मात्र 5 सीटों से भाजपा से आगे है।मध्य प्रदेश के चुनाव परिणाम यह साबित करते हैं कि मध्य प्रदेश में आज भी शिवराज सिंह चौहान पसन्द किए जाते हैं।राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का विरोध नजर आ रहा था,परंतु छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में हार का कारण केंद्र कि भाजपा सरकार की नीतियों को ही माना जा रहा है।ऐसा लगता है जैसे किसान मुख्यरूप से भाजपा की हार का कारण बने।ऐसे यह बात भी सच है कि विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे ज्यादा हावी होते हैं।स्थानीय नेतृत्व का प्रभाव अधिक होता है।लोकसभा का सेमीफाइनल कहा जाने वाला यह परिणाम जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए काफी है,तो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी ज्यादा निराश होने की आवश्यकता नहीं है।केंद्र की भाजपा सरकार को सतर्क होने की जरूरत है। आवश्यकता है कि वह अभिमान का त्याग करे और स्वस्थ लोकतंत्र के लिए काम करे।मोदी और शाह की जोड़ी को आत्म चिंतन की आवश्यकता है।उन्हें ये समझ आ जाना चाहिए कि देश की जनता अब जाग चुकी है।जनता को भाषण नहीं काम चाहिए।जनता अब धर्म और जाति के नाम पर लड़ना पसन्द नहीं करती।साथ ही साथ उन्हें अपने बड़बोले नेताओं और खुद भी बेतुके बयानों से बचना होगा।

दूसरी ओर इस चुनाव परिणाम ने राहुल गांधी की छवि को बदला है। राहुल गांधी को अब देश की जनता और सहयोगी पार्टियां भी गंभीरता से लेंगे,जैसा कि चुनाव से पहले नजर नहीं आ रहा था।

निश्चित रूप से यह चुनाव परिणाम देश के लिए, स्वस्थ लोकतंत्र के लिए और समस्त देशवासियों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

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