(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)
मैं उन्हें कदापि धार्मिक नहीं मानता, जो धर्म के नाम पर दंगे करवाते हों या फिर धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश करते हों।वो कदापि धार्मिक नहीं हो सकता जो धर्म की आड़ में निजी लाभ के लिए प्रयासरत हो। संसार का कोई भी धर्म उन्माद फैलाना, झगड़े करवाना, दंगे करवाना या फिर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ नहीं मानता। “राम” के नाम पर हमारे देश में वर्षों से राजनीति हो रही है। राम का नाम लेकर कुछ लोग हिंदुत्व की ठेकेदारी भी करने में लगे हैं। हमारे देश का यह दुर्भाग्य है कि हिंदुत्व आज भी रोटी से बड़ा मुद्दा है।
एक बार फिर से पूरे देश में भावनाओं को भड़काने का प्रयास तेजी से किया जा रहा है। कुछ संगठनों द्वारा पूरे देश में एक बार फिर से पूरी तैयारी के साथ अयोध्या, राम मंदिर और हिंदुत्व के नाम पर आग सुलगाने का प्रयास किया जा रहा है। मुसलमानों के नाम पर रखे शहरों का नाम बदला जा रहा है।मुगलसराय, इलाहाबाद,फैजाबाद और आगे कुछ और भी नाम शामिल होने की संभावना बनी हुई है।नाम बदलने के पीछे की लॉजिक भी बड़ी अजीब है, या यूं कहें कि कोई लॉजिक ही नहीं है, सिवाय राजनीति के।नाम बदलने से यदि विकास होता हो, नाम बदलने से यदि लोगों को रोजगार मिलता हो, रोटी मिलती हो तो फिर अच्छी बात है। लेकिन विकास के कार्यों को छोड़ राजनीति के लिए, तब तो खैर, राम ही जानें।
क्या हमारे राम हमें यही शिक्षा देते हैं ? हमारे राम तो वो हैं जिन्होंने दूसरों की खुशी के लिए सदा कुर्बानी दी। जिन्होंने एक भीलनी का जूठा बेड़ खाया, जिन्होंने महल की कुर्बानी देकर चौदह वर्ष का वनवास काटा, पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण,भरत, शत्रुघ्न सबों ने बड़े भाई के लिए त्याग किया। हमारे राम तो वह हैं जिन्होंने प्रजा की खुशी के लिए पत्नी को त्याग करने में भी समय नहीं लगाया। युगों युगों से संसार में रामायण पढ़ा जा रहा है,परंतु अफसोस की कोई राम नहीं बन सका। हमारे राजनेता राम के नाम पर भले ही राजनीति कर लें लेकिन उनके पद चिन्हों पर चलने को कोई तैयार नहीं।
इन सब के बीच एक बहुत ही अच्छी खबर आई है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष गैयूरुल हसन रिजवी ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से आयोग को पत्र लिख रहे हैं। रिजवी ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर संवैधानिक दायरे में रहते हुए आयोग सुप्रीम कोर्ट में भी राम मंदिर निर्माण के पक्ष में याचिका दाखिल कर सकता है। उन्होंने कहा है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी मंदिर निर्माण कराकर इस विवाद का सदा- सदा के लिए अंत करने का आग्रह किया है। आयोग के अध्यक्ष के रूप में रिजवी साहब ने अल्पसंख्यक समुदाय से सम्मानजनक समझौता कर जल्द राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने की अपील भी की है।
निश्चित रूप से अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से ये एक शानदार पहल है, जिसके लिए उन्हें सलाम करने को जी चाहता है। इस महान सोंच के लिए रिजवी साहब और इस तरह के विचार वाले सभी लोगों का बहुत-बहुत आभार,जो शांतिपूर्वक इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रयासरत हैं।इसी तरह यदि समस्त देशवासी मिलजुल कर समस्याओं का समाधान कर लें तो फिर कोई समस्या ही नहीं रहेगी और तब राजनीतिक दल इसका नाजायज फायदा नहीं उठा पाएंगे।राम त्याग के प्रतीक रहे हैं, स्वार्थ के नहीं।