भैंस चराने से लेकर भोजपुरी सुपरस्टार बनने तक का सफ़र, प्रेरक है खेसारी लाल यादव की कहानी

अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट

खेसारी लाल बिहार के छपरा जिले के रहने वाले हैं। वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। एक्टर खेसारी लाल एक दिन परिवार का खर्चा चलाने के लिए दिल्ली में लिट्‌टी की दुकान चलाते थे। वहीं खेसारी लाल का कहना है कि लिट्टी की दुकान करने से पहले दिल्ली में धागा की कटाई करता था। जिसके बाद उनके पापा ने शादी करवा दिया। इसके बाद वे खर्चा चलाने के लिए दिल्ली के ओखला के संजय कॉलोनी में लिट्‌टी का दुकान चलाने लगे। इस काम में पत्नी भी सहयोग करती थी। ये सिलसिला ढाई सालों तक चला। इसी दौरान बीएसएफ की नौकरी लग गई। लेकिन मेरा मन नौकरी में नहीं लगता था। क्योंकि मुझे गाने का बहुत शौक था। इसके बाद मैं नौकरी छोड़कर दिल्ली आ गया। फिर मैंने कुछ पैसे बचाकर एक एलबम निकाला और वह एलबम हिट हो गया। इसके बाद लोग मुझे पहचानने लगे।आपको बता दें कि खेसारी फिल्मों में काम करने से पहले भोजपुरी गाना गाते थे। कई गाने गाए सब फ्लॉप हो गया। लेकिन एक गाने ने खेसारी को रातों रात फेमस कर दिया। 2008 में खेसारी का गाना भौजी केकरा से लड़ब पिया, अरब गईले ना हिट हो गया। इस गाने की 70-80 लाख सीडी की बिक्री हुई थी। खेसारी ने बताया कि मेरी पहली फिल्म साजन चले ससुराल के लिए 11 हजार रुपए मिले थाे। खेसारी ने बताया कि पहली फिल्म साजन चले ससुराल सिल्वर जुबली हुई। इसके बाद कई फिल्मों का ऑफर मिलने लगा। खेसारी ने कहा कि अबतक 50 से अधिक फिल्मों में काम कर चुका हूं। जिनमे पांच फिल्में लगातार सिल्वर जुबली रही। साथ ही खेसारी लाल ने बताया कि मेरा बचपन गांव में बीता है। गांव में मैं भैंस चराने जाया करता था। इसी बीच पिताजी परिवार का पालन पोषण करने के लिए दिल्ली आ गए। दिल्ली में आने के बाद चना बेचने का काम करते थे।

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