शिक्षा के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी है रानी सिन्हा
अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत रानी सिन्हा शिक्षा के क्षेत्र के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुयी है।
इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।
झारखंड की राजधानी रांची शहर में जन्मीं रानी सिन्हा के पिता रवीन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव एचईसी कंपनी में वरीय अधिकारी थे जबकि मां श्रीमती मुन्नी श्रीवास्तव गृहणी थी।
रानी सिन्हा ने प्रारंभिक शिक्षा रांची सेन्ट्रल स्कूल से पूरी की और इसके बाद उन्होंने स्नातक की पढ़ाई रांची वुमेन्स कॉलेज से पूरी की।
उनके माता-पिता पुत्री को उच्च अधिकारी बनाना चाहते थे।रानी सिन्हा को पढ़ने में काफी रूचि थी। और इसी को देखते हुये उन्होंने पूर्णिया से बीएड की पढ़ाई पूरी की।
इस बीच उनकी शादी छपरा के अधिवक्ता राजेश नारयण सिन्हा के साथ हो गयी।
रानी सिन्हा यदि चाहती तो विवाह के बंधन में बनने के बाद एक आम नारी की तरह जीवन गुजर बसर कर सकती थी लेकिन वह खुद की पहचान बनाना चाहती थी। जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है। लेकिन रानी सिन्हा के साथ ऐसा नही हुआ।रानी सिन्हा के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के लोगों और ससुर और अधिवक्ता दुर्गेश नारायण सिन्हा ने उन्हें काफी सपोर्ट किया। दुर्गेश नारायण सिन्हा का परिवार श्यामबाबू पोखरा के नाम से प्रसिद्ध है। दुर्गेश नारायण सिन्हा ने सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया है रानी सिन्हा ने। रानी सिन्हा को शिक्षा के साथ ही समाज सेवा में भी गहरी रूचि थी। पूर्व राष्ट्रपति डा अबुल कलाम आजाद और भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम वरिष्ठ महिला अधिकारी डॉ. किरण बेदी को प्रेरणा मानने वाली रानी सिन्हा शिक्षा के साथ ही महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना चाहती थी और इसी को देखते हुये वह स्वंय सेवी संगठन इनरव्हील क्लब से जुड़ गयी और महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर काम किया। रानी सिन्हा को उनकी काबलियत को देखते हुये इनरव्हील क्लब छपरा का दो बार अध्यक्ष बनाया गया।करीब दो दशक से रानी सिन्हा महिला पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ और महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करने में लगी हुयी है। रानी सिन्हा अपनी व्यस्त जीवनशैली से समय निकालकर समाजसेवा में भी अपना पूरा योगदान देती हैं। रानी सिन्हा अबतक
अपने क्लब के द्वारा 1000 से अधिक लोगों को निशुल्क शिक्षा देकर उन्हें
आत्मनिर्भर बना चुकी है।रानी सिन्हा को गाना सुनने ,बागबानी करने का भी
काफी शौक है। रानी सिन्हा को उनके करियर के दौरान मान-सम्मान खूब मिला। देशरत्न और पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद की 133 वीं जयंती के अवसर पर एक निजी संस्था के द्वारा रानी सिन्हा को बिहार के 133 बेजोड़
बिहारियों में शामिल करते हुये सम्मानित किया गया।
रानी सिन्हा का कहना है कि चाहे खेल कूद हो अथवा अंतरिक्ष विज्ञान,
हमारे देश की महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं। वे आगे बढ़ रही हैं और अपनी उपलब्धियों से देश का गौरव बढ़ा रही हैं।नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। वैसे अब ये मुद्दा Women Development का नहीं रह गया,
बल्कि Women-Led Development का है।””यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी
शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।”
रानी सिन्हा ने बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने
पिता के साथ ही अपने दो बच्चों पुत्री आस्था सिन्हा पुत्र अंश राज अपने
शुभचितंको को भी देती हैं जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है। उन्होंने बताया कि वह अपनी मित्र करूणा सिन्हा ,गायत्री अर्याणी ,वीणा शरण , आशा शरण और अलका जैन का भी शुकिया अदा करती है जिन्होंने उन्हें काफी सपोर्ट किया है।