मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 22 अगस्त से चल रहा भारत का 12वां राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव 26 अगस्त 2022 को संपन्न हो गया। इसमें देशभर से चुनिंदा 71 विज्ञान फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। विज्ञान संचार परिचर्चा, मास्टर क्लासेस, विज्ञान निर्माण पर कार्यशाला, विज्ञान कवि सम्मेलन और साथ ही साथ मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक, संगीत कार्यक्रम के प्रति लोगों में विशेष उत्साह देखा गया।
फिल्म महोत्सव का उद्घाटन मध्य प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा द्वारा किया गया। फिल्मोत्सव की शुरुआत में प्रोफेसर जगदीश चंद्र बसु सभागार में प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक पीसी रे पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन हुआ। महोत्सव के पहले और दूसरे दिन कुल 26 फिल्में प्रदर्शित की गई।
समारोह में प्रदर्शित प्रमुख विज्ञान फिल्में
12वें राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव में विज्ञान से जुड़ी चुनिंदा 71 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। महोत्सव में प्रदर्शित विज्ञान फिल्मों में बिरला इंडस्ट्रियल एवं टेक्नोलॉजिकल संग्रहालय द्वारा भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रामन के जीवन पर आधारित फिल्म ‘कैरेक्ट्राइजिंग कलर – सर सीवी रामन एट वर्क’, संजय बंसल द्वारा निर्मित ‘जवाहरलाल नेहरु सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च’, सूक्ष्म कण के विज्ञान और कोरोना के संबंधों को रेखांकित करती अमिताभ श्रीवास्तव की फिल्म ‘नैनो में क्या है’, भारत में रॉकेट की शुरुआती कहानी बयां करती जयराव जनसरी द्वारा निर्देशित ‘रॉरिंग इन टू स्पेस’, आकांक्षा सूद सिंह की ‘ऑन द ब्रिंक: इंडियन पैंगोलिन’, अब्दुल शाहिद द्वारा निर्देशित ‘ए.एस.डी ऐंड कैमल मिल्क’, पूरनचंद सरीन व राजेश श्रीवास्तव की फिल्म ‘नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन’, और बाढ़ पीड़ितों की व्यथा को दर्शाती निर्देशक जाया जोश राज की फिल्म ‘ऐंड दज मैन गेट्स क्रश्ड अगेन ऐंड अगेन’ शामिल रहीं।
इसके साथ ही साथ प्रदूषण से प्रभावित पेड़-पौधों की कहानी बयां करने वाली तन्मय शाह द्वारा निर्देशित ‘फोटोन्स’, के. गोपीनाथ द्वारा निर्देशित ‘लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट – स्वच्छ परिसर’, अब्दुल राशिद भट्ट की ‘क्लाइमेट चेंज: थ्रेट फॉर फ्यूचर जेनेरेशन’, कम पानी में खेती करने की अनूठी तकनीक पेश करने वाली सुमंत बंधोपध्याय द्वारा निर्देशित फिल्म ‘आचदों कुरु- जस्ट कवर इट’, प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को दर्शाने वाली बिशाल सेनगुप्ता की बॉटल’ जैसी विषय विशेष पर फिल्म प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया।
विज्ञान संचार पाठ्यक्रम को सशक्त बनाने की आवश्यकता
राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव 2022 में आयोजित पैनल चर्चा में उपस्थित संचार विशेषज्ञों ने कहा कि विज्ञान संचार पाठ्यक्रम को नए सिरे से सशक्त बनाने की आवश्यकता है। ‘साइंस कम्युनिकेशन इन मीडिया स्टडीज एंड मीडिया स्टडीज दैट कैन नॉट बी इग्नोर्ड’ पर आयोजित इस चर्चा में देश के चर्चित मीडिया एजुकेटर्स, साइंटिस्ट और विज्ञान संचारकों ने इस बात पर एकमत सहमति जताई है।
कवियों ने कराया संभावित खतरों से रूबरू
कार्यक्रम के दूसरे दिन विज्ञान कवि सम्मेलन विज्ञान का आयोजन हुआ, जिसमें महान कवियों ने विज्ञान के विषयों को कविता का शक्ल दी और श्रोताओं तक पहुंचाया। कविता पाठ में शंभू शिखर ने कविता के माध्यम से कहा कि सागर की स्वच्छता में योगदान दीजिए सागर बचा रहेगा तो धरती भी बचेगी। वही पंडित सुरेश नीरव ने प्रदूषित होते समंदर के खतरों के प्रति आगाह किया और कहा कि सिसकते हुए समंदर पड़े बीमार देखते हैं कि दुनिया की तबाही के हमें आसार दिखते हैं।
शुक्रवार, 26 अगस्त को समापन के अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा हर साल विज्ञान फिल्म फेस्टिवल आयोजित करने की घोषणा की। इस अवसर पर अलग-अलग श्रेणियों में कुल 21 पुरस्कार भी प्रदान किए गए। स्कूली बच्चों के फिल्म निर्माण में रुचि की भी प्रशंसा की गई।