10 मई को हुई एक प्रेस वार्ता में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने वन नेशन वन राशन कार्ड और “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना”( पीएमजीकेएवाई-3) योजना के बारे में जानकारी दी। पीएमजीकेएवाई- III के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना” को दो महीने यानि मई और जून के लिए लागू किया जा रहा है। हर महीने पांच किलोग्राम प्रति व्यक्ति के मान से अतिरिक्त अनाजों (चावल/गेहूं) का एक अतिरिक्त कोटा प्रदान किया जाएगा। इससे लगभग 80 करोड़ लाभार्थी एनएफएसए की दोनों श्रेणियों (अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता परिवार योजना) के दायरे में आ जाएंगें।
मई 2021 के लिए एफसीआई डिपो से 15.55 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न उठाया गया
आपको बता दें कि 10 मई तक 34 राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों ने मई 2021 के लिए एफसीआई डिपो से 15.55 लाख मीट्रिक टन से अधिक अनाज उठाया है और 12 राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के दो करोड़ से अधिक लाभार्थियों को एक लाख मीट्रिक टन से अधिक वितरित किया गया है। भारत सरकार राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के खाद्य सब्सिडी और राज्यों के भीतर परिवहन से जुड़े 26,000 करोड़ रुपये से अधिक का सारा खर्च वहन करेगी। सुधांशु पांडे ने कहा कि लगभग सभी राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों में मई और जून 2021 के महीनों के लिए, पीएमजीकेएवाई-3 के तहत खाद्यान्नों के वितरण का कार्य जून 2021 के अंत तक पूरा हो जाएगा।
केंद्र सरकार ने इस साल के लिए अब तक 7.2% का सम्मिश्रण लक्ष्य प्राप्त किया
सुधांशु पांडे ने मीडियाकर्मियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी। चीनी की सब्सिडी के बारे में बताते हुए कहा कि चीनी और इथेनॉल उद्योग को लेकर विस्तृत समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा, “अब तक देश के 11 राज्यों ने पहले ही 9-10% के सम्मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है, जबकि बाकी राज्य इस दिशा में काम कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने इस साल 7.2% का सम्मिश्रण लक्ष्य हासिल किया है और साथ ही हम इस वर्ष के अंत तक 8.5% सम्मिश्रण लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने खाद्य तेलों की कीमत के बारे में कहा कि सरकार द्वारा इसकी बारीकी से निगरानी की जा रही है।”
अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच केन्द्रीय पूल से लिए गए लगभग 928.77 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न
कोविड संकट के बारे में उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि कोविड हालातों के कारण कुछ खेप विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही जांचों के कारण बंदरगाहों पर अटक गए हैं लेकिन अब समस्या का समाधान हो गया है और जल्द ही भंडार को बाजार में जाने दिया जाएगा। इससे तेल की कीमतों में कमी आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान, 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच वितरण के लिए लगभग 928.77 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न ( 363.89 एलएमटी गेहूं और 564.88 एलएमटी चावल) केंद्रीय पूल से दिए गए हैं । यह बताया गया है कि इस नीति के तहत खाद्यान्न की बिक्री गैर-खरीद वाले राज्यों में शुरू हो गई है और अब तक 2800 एमटी खाद्यान्न बेचे जा चुके हैं।
इस योजना की लगातार की जा रही है समीक्षा
उनके अनुसार इस योजना की लगातार समीक्षा की जा रही है। व्यापक प्रचार के लिए और जारी की गयी सलाहों के अनुरूप यह वितरण किया जा रहा है। पीएमजीकेएवाई-III खाद्यान्नों का वितरण कोविड-19 के सुरक्षा प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है।सचिव द्वारा इस संबंध में 26 अप्रैल और 5 मई को संयुक्त राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के खाद्य प्रतिनिधियों के साथ बैठकों का आयोजन किया गया था इसका उद्देश्य खाद्यान्न वितरण की प्रगति की समीक्षा करना तथा सही रणनीति बनाना था।
अब तक किसानों के खाते में 49,965 करोड़ रुपये का हो चुका है भुगतान
सचिव ने बताया कि अब तक कुल डीबीटी भुगतान में से 49,965 करोड़ रुपये किसानों के खाते में गेहूं की खरीद के लिए भेजे जा चुके हैं। उन्होंने आगे बताया कि पंजाब में 21,588 करोड़ रुपये और हरियाणा में लगभग 11,784 करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में स्थानांतरित किए गए हैं। ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ प्रणाली को लगभग 69 करोड़ लाभार्थियों (86% एनएफएसए आबादी) को दायरे में लाते हुए 32 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है। उन्होंने इसके महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 (एनएफएसए) के तहत राशन की देशव्यापी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना और प्रयास है।