29 अक्टूबर 2017
- स्वराज इंडिया का ट्रैक्टर को “गैर परिवहन वाहन” की श्रेणी से बाहर करने के सरकार के फैसले का विरोध।
- स्वराज इंडिया अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजते हुए इस मसौदे पर आपत्तियों को रखने के लिए अधिक समय देने की मांग की।
स्वराज इंडिया ने कृषि ट्रैक्टरों को ‘गैर-परिवहन वाहनों’ की श्रेणी से बाहर करने के केंद्र सरकार के फैसले पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा है कि यह कदम पहले से आर्थिक संकट झेल रहे किसानों की कमर तोड़ने वाली (दोहरी मार) है।
सरकार के इस कदम को अनावश्यक और किसान विरोधी बताते हुए, पार्टी प्रवक्ता राजीव गोदारा ने कहा कि कृषि और गैर-कृषि (कमर्शियल) प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टरों के बीच पहले से ही स्पष्ट अंतर है। खेती के कामों में प्रयुक्त होने वाले ट्रैक्टर को केंद्र सरकार ने “नॉन-ट्रांसपोर्ट कैटेगरी” से निकालकर ‘ट्रांसपोर्ट वेहिकल’ की श्रेणी में डालने का प्रस्ताव दिया है जिससे खेती करने वाले ट्रैक्टर पर जीएसटी 12% से बढ़कर 28% हो गया। साथ ही, रोड टैक्स जैसे कई अन्य टैक्स भी लागू कर दिए गए। फ़सल की कीमत तो देश के किसानों को पहले से ही नहीं मिल रही थी, अब टोल टैक्स, लाइसेंस आदि की कीमत जुड़ जाने से खेती का लागत मूल्य और भी बढ़ जाएगा।
जय किसान आंदोलन के संजोजक अविक साहा ने कहा कि कृषि ट्रैक्टर को ‘कमर्शियल वाहन’ के रूप में मान लिए जाने से एक मामूली प्लाई के लिए भी परमिट की आवश्यकता होगी, जो किसानों पर अतिरिक्त बोझ की तरह होगा। और सबसे दुखद है की वर्तमान सरकार इसके दुष्परिणाम के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील /अचेत है।
नव गठित राजनितिक पार्टी स्वराज इंडिया ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को यह निर्णय लेने से पहले कम से कम एक महीने का समय देकर ड्राफ्ट पर आपत्ति या सुझाव आमंत्रित करना चाहिए था। लेकिन राजपत्र में प्रकाशन से पहले किसी को भनक तक नहीं लगने दी गई। स्वराज इंडिया अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने केंद्र सरकार को भी एक ज्ञापन भेजते हुए मांग की है कि सरकार इस मसौदे पर आपत्तियों को रखने के लिए और अधिक समय दे।
विदित हो कि सरकार के इस फ़रमान के बाद अब किसी भी किसान को अपने खेत में ट्रैक्टर चलाने के लिए कम से कम आठवीं पास भी होना पड़ेगा। तो क्या सरकार भी हमारे देश के किसानों की साक्षरता दर से अनजान है? योगेंद्र यादव ने पूछा।