(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)
देश की सबसे विश्वसनीय संस्था के ऊपर उंगली उठ रही है। आज भी भारतीय जनमानस को सीबीआई पर भरोसा है।कहीं भी, कुछ बड़ी घटना होती है तो लोग सीबीआई पर भरोसा करते हैं और सी बी आई जांच की मांग करते हैं। देश की उस सबसे विश्वसनीय संस्था के ऊपर उंगली उठ रही है।मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा सही हैं या इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना गलत हैं। मुझे लगता है मुझ जैसे ऐसे करोड़ों लोग हैं देश में जिन्हें इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। हां फर्क पड़ता है, मुझे इस बात से कि देश की सबसे भरोसेमंद संस्था विवादों में है, फर्क पड़ता है इस बात से कि सबसे भरोसेमंद संस्था पर उंगली उठ रही है, फर्क पड़ता है इस बात से कि रॉ के चार अधिकारियों के साथ बदतमीजी की गई, साथ ही साथ उनकी पहचान उजागर हो गई। फर्क पड़ता है कि आखिर आलोक वर्मा के घर की जासूसी के पीछे क्या वजह है? फर्क पड़ता है कि राकेश अस्थाना के खिलाफ जितने लोग जांच कर रहे थे लगभग सभी अधिकारियों का तबादला क्यों कर दिया गया? फर्क पड़ता है इससे कि आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने में क्या सरकार ने नियमों को ताक पर नहीं रख दिया?
निश्चित रूप से इस प्रकार की घटना चिंताजनक है। विपक्ष पूरी तरह हमलावर है और सड़कों पर उतर गया है। सरकार पर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरे मामले को केंद्रीय सतर्कता आयोग के हवाले कर दिया है, जहां सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में इसकी जांच हो रही है और जैसी कि उम्मीद है, दो हफ्ते में जांच पूरी हो जाएगी।
क्या सही है, क्या गलत है। इस पूरे मामले में सरकार की क्या भूमिका रही है और सरकार की क्या मंशा रही है। यह तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन जो कुछ भी हुआ वह अच्छा नहीं हुआ। भारतीय जनमानस यह जानना चाहता है कि इस विवाद के लिए कौन जिम्मेवार है? कौन सही है और कौन गलत है? भारतीय जनमानस इस पूरी कहानी को जानना चाहता है। भारतीय जनमानस ये जानना चाहता है कि क्या विपक्ष जो आरोप लगा रही है, वह सही है? क्या इस पूरे घटनाक्रम से राफेल का कनेक्शन है?
कभी देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई पिंजरे का एक तोता है।सीबीआई के वरिष्ठ संयुक्त निदेशक नागेश्वर राव के हाथ में तत्काल सीबीआई की कमान सौंप दी गई है, जिन पर पहले से ही कई गंभीर आरोप लगे हुए हैं। क्या देश की ये सबसे विस्वसनीय संस्था भारतीय जनमानस में एक बार फिर अपना भरोसा बना पाएगी ?