(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कन्या उत्थान योजना के अंतर्गत राज्य में स्नातक पास करने वाली छात्राओं को पच्चीस हजार रुपए मदद देने की घोषणा की है।यह योजना 24 अप्रैल 2018 के बाद स्नातक करने वाली प्रत्येक छात्रा के लिए है।आंकड़ों के मुताबिक इस योजना से इस वर्ष राज्य के करीब सवा लाख छात्राएं लाभान्वित होंगी। वित्तीय वर्ष 2018- 19 के लिए सरकार ने इस मद में तीन सौ करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। इस तीन सौ करोड़ रुपए से एक वर्ष के लिए करीब एक लाख बीस हजार छात्राओं को लाभ प्राप्त होगा। इसमें कई ऐसी छात्राएं भी होंगी जिनके लिए इसका कोई खास महत्व ना हो और वो मंहगे स्मार्टफोन खरीद कर अपने शौक पूरे करें या फिर मौज- मस्ती के लिए इन पच्चीस हजार रुपए का खर्च करें।कई ऐसे भी छात्राएं होंगी जिन्हें इस मदद से लाभ होगा। किसी के पिता घर बनाने में उस राशि को खर्च करेंगे तो किसी का भाई व्यापार में उन रुपयों को लगाएगा।
प्रदेश के शिक्षा की बदहाल स्थिति किसी से छुपी नहीं है। प्राथमिक से लेकर महाविद्यालय स्तर तक शिक्षकों के लाखों पद रिक्त हैं। शायद ही किसी विद्यालय में विषयवार शिक्षक उपलब्ध हैं। आधे सत्र बीत जाने के बाद भी बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। प्रदेश में कई ऐसे विद्यालय हैं जो जर्जर भवनों में चल रहे हैं और किसी अनहोनी घटना की चेतावनी दे रहे हैं। प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के वर्ग पांचवी और छठी कक्षा के बच्चे कक्षा एक और दो के सवालों के जवाब देने में भी असमर्थ हैं।प्रदेश के सैकड़ों ऐसे गांव हैं,जहां उच्च विद्यालय नहीं है और बच्चों को पाँच-छह किलोमीटर दूर पढ़ाई करने उच्च विद्यालय जाना पड़ता है।और, वहां पढ़ाई के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है। बिहार में मैट्रिक,इंटर की परीक्षाओं में किस प्रकार धांधली होती है यह सभी जानते हैं।बच्चे परीक्षा पास करने के लिए चीट और चोरी या फिर पैरवी पर निर्भर होते हैं। स्नातक की परीक्षाओं का तो कहना ही नहीं। शायद ही किसी महाविद्यालय में नियमित कक्षाएं होती है। हो भी कैसे, शायद ही किसी महाविद्यालय में हर विषय के शिक्षक उपलब्ध हैं।जो उपलब्ध हैं, वो भी कक्षा में उपस्थित नहीं रहते हैं। परीक्षाओं में खुलेआम चीटिंग करते हुए बच्चे देखे जा सकते हैं।
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो चुकी है।शिक्षा की ये बदहाल स्थिति शायद ही किसी अन्य प्रदेश में देखने को मिले।बिहार में शिक्षा पूरी तरह निजी विद्यालय पर निर्भर है।जहां से शिक्षा प्राप्त कर बच्चे अपना भविष्य सवाँर रहे हैं।राज्य सरकार के अधीनस्थ शैक्षणिक संस्थाओं में तो बच्चों को पंगु बनाने की पूरी व्यवस्था है।
सुशासन बाबू को अपनी छवि का ख्याल रखते हुए इस पर ध्यान देना चाहिए।प्रदेश में उच्च शिक्षा सहित तकनीकी शैक्षणिक संस्थाओं का घोर अभाव है। तीन सौ करोड़ रुपए एक वर्ष के लिए फूंक देने से मात्र कुछ लोगों का एक वर्ष के लिए भला होगा। जबकि यदि सरकार पूरी शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त कर दे तो आने वाले वर्षों में प्रदेश का भविष्य सुरक्षित हो सकता है।