पटना 02 नवम्बर 2017:- गुरूवार को 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से कर्नाटक राज्य के टेंपरेंस बोर्ड के अध्यक्ष श्री एच0सी0 रुद्रप्पा ने एक प्रतिनिधिमण्डल के साथ मुलाकात की। कर्नाटक राज्य के टेंपरेंस बोर्ड के अध्यक्ष श्री एच0सी0 रूद्रप्पा 31 सदस्यीय दल के साथ बिहार में लागू मद्य निषेध नीति और उसके कार्यान्वयन का अध्ययन करने आये हुये हैं।
मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान शराबबंदी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने शराबबंदी को एक सामाजिक जन-आंदोलन बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 कर्पूरी ठाकुर ने भी बिहार में आंशिक शराबबंदी लागू की थी, जो कि किसी कारणवश सफल नहीं हो पायी। मुख्यमंत्री ने कहा कि 9 जुलाई 2015 को एक सभा के दौरान कुछ महिलाओं ने शराबबंदी की माॅग की तो मैंने कहा कि अगली बार सता में आयेंगे तो शराबबंदी लागू करेंगे और लोगों ने फिर काम करने का मौका दिया। 20 नवम्बर 2015 को शपथ ग्रहण के बाद 26 नवम्बर को आयोजित कार्यक्रम में मैंने यह घोषणा की कि 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी का फैसला चरणबद्ध तरीके से होना था, जिसमें ग्रामीण इलाके में सबसे पहले बंदी, फिर छोटे शहर और उसके बाद बड़े शहरों में इस पर रोक लगाने की योजना थी परंतु शराबबंदी कानून के एलान होने के बाद 4 अप्रैल 2016 को जब शहरी इलाके में शराब की दुकानें खुलने लगी तो लोगों का भारी विरोध हुआ और मेरे पास शिकायतों का अंबार लग गया। तत्काल मैने अधिकारियों के साथ मंत्रणा की और उभरी हुई परिस्थितियों को समझने के बाद तत्काल प्रभाव से पूरे बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी लागू करने से राज्य के खजाने में भले ही पांच हजार करोड़ रूपये के राजस्व का नुकसान हुआ किन्तु बिहार का दस हजार करोड़ रूपये जो लोग शराब में गंवा रहे थे, आज वह बच रहा है। उन्होंने कहा कि शराब बंद होने के बाद लोगों के रहन-सहन एवं सामाजिक स्तर में बदलाव आया है। फर्निचर, रेडिमेड कपड़े की बिक्री में वृद्धि हो गयी है। सड़क दुर्घटना एवं अपराध में कमी आयी है।
दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला बनी
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी एवं नशामुक्ति के पक्ष में 21 जनवरी 2017 को दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला बनी, जिसमें चार करोड़ से ज्यादा लोगों की भागीदारी रही। उन्होंने कहा कि अब शराबबंदी के बाद हमारा लक्ष्य दहेज प्रथा एवं बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ व्यापक जन चेतना जगाना है। इसके लिए सबको मिलकर काम करना होगा ताकि इस कुरीति को जड़ से मिटाने में सफलता मिले। पहले हमारे राज्य में गरीब और वंचित तबका अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा शराब और अन्य नशीली पदार्थो पर खर्च कर देता था लेकिन अब स्थिति बदल गयी है और वे लोग अब जरूरत की चीजों पर खर्च करने लगे हैं, जिनसे उनको भरपूर बचत हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून तोड़ने वाले हर जगह हैं और बिहार में भी शराब के अवैध कारोबार में लगे ऐसे लोगों पर सख्त नजर रखी जा रही है और ऐसे लोगों से सख्ती से निपटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई जहरीली शराब की घटना के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की गयी।
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उन्होंने कहा कि ऐसे निर्णयों को लेने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 जनवरी 2017 को शराबबंदी एवं नशामुक्ति के पक्ष में बनाये गये मानव श्रृंखला की तरह अगले वर्ष 21 जनवरी 2018 को भी मानव श्रृंखला बनेगी, जो शराबबंदी, नशामुक्ति के अतिरिक्त बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के विरूद्ध होगी। उन्होंने कहा कि बिहार पिछड़ा प्रदेश है फिर भी सभी क्षेत्रों में व्यापक काम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सड़क और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक राज्य के सभी बसावटों में बिजली पहुॅचा दी जायेगी और अगले साल के अंत तक हर इच्छुक व्यक्ति के घर में बिजली कनेक्षन उपलब्ध करा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक बदलाव के बिना विकास का कोई मतलब नहीं होता है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी का समाज में लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
नशामुक्ति के संबंध में लिये गये साहसिक निर्णय की प्रशंसा
कर्नाटक से आये प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री के शराबबंदी एवं नशामुक्ति के संबंध में लिये गये साहसिक निर्णय की प्रशंसा की।
मुलाकात के दौरान प्रधान सचिव मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन श्री आमिर सुबहानी तथा मुख्यमंत्री के सचिव श्री अतीष चन्द्रा उपस्थित थे।
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