सहरसा जिले के सहशौल निवासी दंपती राकेश सिंह व नूतन सिंह की 26 वर्षीया बेटी ऋचा सिंह ने देश और समाज को इन चीजों से रूबरू कराने का बीड़ा उठाया है. ऋचा बताती हैं कि स्टेशन पर सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध रहता है. लेकिन, पीरियड्स स्टेशन पर ट्रेन रुकने के बाद आये, ऐसा संभव नहीं है. इसलिए रेल मंत्रालय ट्रेन में पैड उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे. सेनेटरी नैपकिन अभियान के बाबत ऋचा बताती हैं कि वे लोगों से सिर्फ एक पैड डोनेट करने की अपील कर रही हैं, ताकि उसे जरूरतमंद महिलाओं तक पहुंचा कर उन्हें जागरूक किया जा सके. शहर में भी अभिभावक अपने बच्चों से इस प्रकार के मुद्दे पर बात करने की इजाजत नहीं देते हैं, जो समाज के लिए चिंतनीय है. उन्होंने बताया कि ट्रेन से शुरू किये गये इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
पटना में आर्ट गैलरी व विभिन्न माध्यमों के जरिये नारी सशक्तीकरण पर काम कर रही ऋचा ने सरकार से मांग की है कि महिला यात्रियों को ट्रेन में सेनेटरी पैड उपलब्ध करायी जाये. पटना के एएन कॉलेज से पीजी कर चुकी ऋचा की मांग को सोशल साइट फेसबुक और ट्विटर पर पर काफी सराहा जा रहा है. ऋचा ने बताया कि यह बात लोगों को समझनी चाहिए कि पीरियड्स बोल कर नहीं आती. ऐसे में चलती ट्रेन में मासिक धर्म के दौरान महिला की स्थिति काफी खराब हो जाती है. अब महानगरों में बदलाव देखा जा रहा है. पहले लोग इन चीजों का नाम लेने में भी हिचकिचाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब लोग पीरियड्स-माहवारी, सेनेटरी नैपकिन-स्वच्छता आदि विषयों पर खुल कर अपनी बात रख रहे हैं. इसके बावजूद कोसी इलाके में सेनेटरी नैपकिन 80 फीसदी महिलाओं की पहुंच से दूर है।
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