बिहार में जनता दरबार का क्या औचित्य?

(पंकज कुमार श्रीवास्तव) उधर लालू के जंगल राज कि समाप्ती हुई,और इधर,सूबे के उस वक्त के नये मुख्यमंञी नीतीश कुमार ने आम लोगों के लिए जनता दरबार नामक महत्वकांक्षी योजना लाया। जिसमें आम जन अपनी समस्या को उस विभाग के मुखिया को बता सकें। निर्धारित समय में समस्या का समाधान तय करना उस विभाग की जिम्मेवारी थी। समाधान न होने कि दशा में फरियादी क्रमवार मुख्यमंञी तक अपनी फरियाद ले जा सकता था। शुरूआती दौर में इस योजना का लाभ दिखा। समय के साथ Logoये योजना महज एक दिखावा साबित होता गया। मौजूदा समय में जिला-अधिकारी कि बात कौन कहे मुख्यमंञी का जनता दरबार भी सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा साबित हो रहा है। राजधानी पटना से प्रकाशित 5 अगस्त 2014 के सभी अखबारों की सुर्खी थी। विनय हत्याकांड की बच्चों कि मामूली विवाद में निर्मम हत्या कर दी गयी। जी हाँ हम बात कर रहे है राजधानी पटना से सटे शेरपुर कि उस अभागन 20 बर्षिय 2 बच्चों कि माँ मीना देवी की जिसका पति विनय को भेड-बकरियों कि तरह टुकडों में काट डाला गया। लाश कि पहचान छुपाने के लिए उसका जन्नांग तक धड से जूदा कर डाला गया। मीना आज इंसाफ के लिए थानेदार से लेकर सूबे के मुख्यमंञी के जनता दरबार में धक्का खा रही है। मीना की आँखों में उन सपनों कि तासिर आज भी बाकी है जिसे उसके विनय ने दिखाया था। मीना से दोनो कुल कि मार्यादा कायम रखने की बात कहकर सुहाग रात के दिन ही विनय ने अपने संस्कारो की पहचान जाहिर कर दी थी। बहरहाल पुलिस कारवाई की बात करें तो उसे चार्जसीट दाखिल करने का अंतिम समय मिला है। अब तक महज 6 अभुयोक्तों की गिरफ्तारी हो पायी है। वो भी जनआंदोलन के बाद। विनय के भाई अशोक कि माने तो चार्जसीट में पुलिस गिरफ्तार लोगें में से भी कुछ लोगों का नामों को निकालने वाली है। बहरहाल घटना पर ध्यान दे तो महज एक दो लोगों के बस से बाहर कि बात किसी जिंदा व्यक्ति को टुकडों में काट देना और तुरन्त ही लाश के टुकडो को धटना स्थल के दो विभिन्न दिशाओं में कई किलोमीटर दूर फेक आना, मर्द के जननांग को काटकर,लाश को साडी पहनाककर औरत कि शक्ल देना ये किसी साघारण व्यक्ति के बस के बाहर की बात जान पडती है। अगर पुलिस इस घटना के प्रति गम्भीर रहती तो अपने स्तर से उदभेदन करती। यहाँ गौरतलब है ग्रामिणों ने सडक जाम किया और दूसरे गाँव के लोगों ने अपने गाँव में लाश के टुकडे मिलने की सूचना दी। जन-आक्रोश भडका तब जाकर अभुयोक्तों की गिरफ्तारी हुई।

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