(सामाजिक कार्यकर्ता गीता चौबे की कलम से)
बक्सर विकास प्राधिकरण का गठन कर पौराणिक महत्त्व के श्रीराम कर्मभूमि तपोभूमि सिधाश्रम बक्सर का संपूर्ण विकास हो I साथ हीं साथ बक्सर पंचकोसी परिक्रमा को श्रीराम सर्किट में लाकर बक्सर को अंतराष्ट्रीय टुरिष्ट प्लेस का दर्जा दिया जाय I
पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व की नगरी बक्सर आज भी विकास से कोसों दूर है I पंचकोसी परिक्रमा में प्रतिवर्ष श्रद्धालु भक्त पहले पतित पावनी गंगा के रामरेखा घाट पर स्नान करते हैं उसके पश्चात् प्रसिद्ध रामेश्वरनाथ मंदिर में पूजन अर्चना के साथ परिक्रमा शुरू करते हैं I परिक्रमा में सबसे पहले श्रद्धालु पैदल ही अहिरौली स्थित ऋषि गौतम के आश्रम स्थित अहिल्या देवी मंदिर पहुंचते हैं I यहाँ अहिल्या देवी की पूजन-अर्चना करने के बाद उस स्थान पर पुआ पकवान व गुड़ की जलेबी प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं I इस मेले के आखिरी दिन यानि पाचवे दिन अंतिम पड़ाव पर बक्सर के चरित्रवन में मेले का आयोजित होता है और लाखों श्रद्धालु इस दिन बिहार का फेमस ब्यंजन लिट्टी चोखा प्रसाद ग्रहण करते हैं I पंचकोसी में हर जगह अलग-अलग प्रकार के पांच व्यंजन भोजन के रूप में ग्रहण करने की परंपरा का पालन किया जाता है। कहते हैं कि बक्सर में विश्वामित्र ऋषि के आग्रह पर आए श्रीराम जब ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का संहार कर लिए तब किन्हीं कारणों से जिन ऋषियों से नहीं मिल पाए थे। बाद में आकर उनसे मिलने के लिए पांच दिनों की यात्रा कर पांच ऋषियों के आश्रम में गए थे।
वहां रात्रि विश्राम कर उन्होंने सबका आशीर्वाद ग्रहण किया था। तब ऋषियों द्वारा श्रीराम के स्वागत में जिन भोज्य पदार्थों को खिलाया गया था उसी का अनुसरण करते हुवे आज भी पांचों स्थानों पर उस भोज्य प्रसाद का वितरण होता है। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से आयोजित होने वाला यह मेला पंचकोस के पांच पड़ाव पांच दिन में पूरा होता है I
पंचकोसी का पहला पड़ाव बक्सर से एक कोस की दूरी पर स्थित अहिरौली नामक गांव में अगले दिन अहिरौली से एक कोस की दूरी पर मौजूद नदांव गांव स्थित नारद पोखरा के पास पड़ाव डालते हैं। जहां खिचड़ी और चोखा खाने की परंपरा है। नदांव नारद मुनि का तपोभूमि रहा है I
तीसरे दिन श्रद्धालु यहां से भभुअर गांव के लिए रवाना होते हैं। जहां भार्गव ऋषि का आश्रम था। यहां भार्गवेश्वर महादेव का एक सुंदर मंदिर भी मौजूद है, जहां चूड़ा और दही खाने की परंपरा है। चौथे दिन यहां से पुन: एक कोस की दूरी पर बड़का नुआंव गांव में पड़ाव होता है जहां आज भी अंजनी पोखरा मौजूद है। मान्यताओं के अनुसार यहां उद्दालक ऋषि का आश्रम था और यहां श्रद्धालुओं द्वारा सत्तू के साथ मूली सेवन करने की परंपरा है। पांचवे दिन सबसे अंतिम पड़ाव नगर के मध्य स्थित चरित्रवन में होता है। जहां बिहार का प्रसिद्ध लिट्टी चोखा खाने की परंपरा है। पंचकोस यात्रा के आखिरी दिन बक्सर में अनेक जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों से लाखों लोग इस अद्भुत मेला में शिरकत करते हैं।
जहां, लोग आकर सार्वजनिक स्थलों पर यहां लिट्टी-चोखा बना कर प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस पुरातन संस्कृति को जीवित रखने के उद्देश्य से पंचकोस यात्रा समिति का गठन भी किया गया है जो हर साल आयोजित होने वाले इस मेले की व्यवस्था की देखरेख करती है। पंचकोसी मेला के आयोजन में सरकारी कोष से फूटी कौड़ी भी नहीं दिया जाना और अब तक इसको लेकर किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा कारगर मांग सरकार से नहीं करना पौराणिक मान्यता और संस्कृति को तिरष्कृत करने उपेक्षित करने के समान है I एक तरफ सरकार श्रीराम सर्किट से जुड़े स्थलों को एक कर उसे विकसित करने की बात कर रही है वहीं दूसरी ओर पंचकोसी के विकास को श्रीराम के भरोसे ही छोड़ दिया गया है I लाखों लोग प्रति वर्ष पंचकोसी परिक्रमा में शामिल होते हैं I
मजे की बात है कि परिक्रमा स्थलों पर लगने वाले मेला का ठेका होता है। परंतु, ठेका की राशि न तो यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं में खर्च होती है और न ही परिक्रमा स्थलों पर बने मंदिरों के विकास में दिया जाता है। मेला के विकास के लिए सरकार के पास न तो स्थानीय प्रशासन और न ही कोई जन प्रतिनिधि रूचि लेता है केवल आयोजन के समय ही महज विकास की अखबारी बयानबाजी होता है I न तो कला संस्कृति विभाग और न ही पर्यटन विभाग और न ही बिहार विकास मिशन इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण और संबर्धन के लिए कार्य करता है जबकि मुख्यमंत्री अपने गृह जिला में कभी नालंदा महोत्सव तो कभी राजगीर पर प्रतिवर्ष करोडो रूपरा खर्च करते हैं और अरबो रूपया के कई प्रोजेक्ट लगाया गया है I पंचकोसी के पहुँच पथों की दैनीय स्थिति है साथ ही साथ मंदिर के आसपास की स्थिति भी दयनीय है सरकार की ओर से कोई मुलभुत सुविधा नहीं है जबकि लाखों श्रधालुओं के आने से सरकार का राजस्य खजाना बढ़ता है क्या यह शाहाबाद की जनता खासकर ऐतिहासिक महत्त्व की बक्सर नगर के साथ सौतेला व्यवहार नहीं तो और क्या है । एक तरफ हर जगह छोटे महत्त्व हीन जगहों पर महोत्सवों का आयोजन होता है बिहार महोत्सव पर अरबो खर्च होता है वहीँ जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम राम की कर्मभूमि उनकी पहचान भूमि पर वार्षिक महोत्सवों का आयोजन नहीं होता है यहाँ तक कि प्रशासन द्वारा प्रतिदिन गंगा आरती की भी व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन कुछ नहीं होता है I पंचकोसी के सभी गांवों में आधुमिक मुलभुत सुविधाओं के साथ श्रधालुओं के रात्रि में विश्राम लिए रहने-ठहरने के लिए सरकारी भवनों आश्रय गृह का निर्माण होना चाहिए I धार्मिक मान्यताओं को लेकर जहाँ बड़ी संख्या में बुजुर्ग महिलाओं का प्रतिवर्ष आगमन होता है वहां महिलाओं के लिए शौचालय पेयजल विश्राम गृह जैसी मुलभुत सुभिधाओं का नहीं होना व्यवस्था पर राज्य के मुख्यमंत्री के निति और नियत पर प्रश्न चिन्ह पैदा करता है I जहाँ बौध सर्किट मुस्लिम मजार और कब्रगाहों के लिए सरकारी खजाना खोल दिया जाता है वहां श्रीराम की कर्मभूमि के अति महत्वपूर्ण पावन पवित्र भूमि की जानबूझ कर राज्यकीय उपेक्षा कई सवालों को खड़ा करती है I
पंचकोशी परिक्रमा त्रेता युग से कायम है I भगवान श्री राम त्रेता युग में विश्वामित्र की यज्ञ को पूर्ण कराने एवं ताड़का की बध करने के उपरांत नगर के पांच ऋषि मुनियों के पास गए थे I सभी ऋषि-मुनियों के पास प्रसाद ग्रहण किया तथा रात्रि विश्राम किया था I उसी मान्यता के अनुरूप आज भी यह प्राचीन परंपरा कायम है I उसी परंपरा के अनुसार सभी पांच जगहों पर श्रद्धालु निर्धारित प्रसाद ग्रहण करते तथा रात्रि विश्राम करते करते हैं I
बक्सर बिहार राज्य में भारत के पूर्वी हिस्से में एक शहर है I यह बक्सर जिला का मुख्यालय है I बक्सर शब्द ब्यघ्रसर शब्द से बना है I बक्सर जिला 1991 में अस्तित्व में आया जो पहले पुराने शाहाबाद को बाँट कर बने दो जिलों रोहतास और भोजपुर में से भोजपुर को दो जिलों में बाँट कर किया गया है बक्सर ऐतिहासिक पौराणिक नगरी है जो पतित पावन गंगा नदी के तट पर स्थित है I बक्सर जिले में दो अनुमंडल और 11 प्रखंड है I बक्सर पौराणिक नगर के अलावे दो ऐतिहासिक लड़ाई शेर शाह सूरी जो अपनी दूरदर्शी योगदान ग्रैंड ट्रंक रोड परियोजना के लिए प्रशंसित है द्वारा जीता था 1539 ई. में मुगल वंशवादी वंशज और हुमायूं और चौसा में शेरशाह सूरी के बीच लड़ा गया था I बाद बक्सर की लड़ाई 1764 में लड़ा गया था I
हिंदू धार्मिक साहित्य में, बक्सर के लिए रूप में “सिद्धाश्रम” संदर्भित है I बक्सर विश्वामित्र का तपोभूमि है जहाँ श्रीराम आसुरी शक्तियों का संहार करने के लिए अयोध्या से विराजमान हुवे और यहीं से श्रीराम को पहचान मिली I श्री राम ने तड़का का वध किया था I यहाँ वर्तमान में नौलक्खा मंदिर है I यहाँ भगवान श्री राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण शिक्षा ग्रहण किये I कहा जाता है कि गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या जो ऋषि की श्राप से पत्थर बनी थीं उसे श्री राम के चरण स्पर्श से मानव शरीर बहाल किये उन्हें ऋषि के श्राप से उद्धार किये I
बक्सर जिला कृषि प्रधान जिला है लेकिन सरकार के स्तर से अब तक सभी खेतों को सिचाई सुविधा प्राप्त नहीं हुआ है I गंगा और भागड खेत्र में जहाँ गंगा सरोबर के रूप में क्षेत्र छोड़ गई है उसे पक्षी आश्रय स्थलों के रूप में विकसित किया जा सकता है यहाँ रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक खेती से पक्षियों का शरण स्थली बन सकता है I चंद्रपुर नैनीजोर सहित कई ग्रामीण इलाकों को संरक्षित पक्षी क्षेत्र विहार के रूप में विकसित किया जा सकता है I अब तक बक्सर पटना फोर लेन नहीं बना यह राजकीय उदासीनता का द्वोतक है I औद्योगिक इकाइयों का नहीं खुलना और जो भी है मृत प्राय हैं उनको चालू न करा पाने की राजकीय संवेदनहीनता देखा जा सकता है I गंगा जलवाहन पथ खुलने की बात भी धरी की धरी रह गई I
बक्सर के विकास के मुद्दे पर यहाँ के अब तक निर्वाचित जनप्रतिनिधि एक दुसरे पर महज आरोप प्रत्यारोप लगते हैं लेकिन कोई भी ईमानदारी से संवेदनशीलता से इसके लिए सार्थक पहल तक नहीं किया है I सांसद हो या विधायक न तो कोई लोकसभा या न ही कोई विधानसभा न राज्य सभा और न ही विधान परिषद् में कोई जोड़ दार मांग नहीं किया और न ही इसके लिए जोड़ दार आन्दोलन किया I चुनाव के समय देश के प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री कई केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्य मंत्रिमंडल के मंत्री सांसद और विधायक चुनावी वादे करते हैं घोशनाएँ करते हैं लेकिन धरातल पर अब तक कोई कार्य करने का इमानदार प्रयास नहीं हुआ है I जबकि इस क्षेत्र से केंद्र और राज्य सरकार में कई मंत्री बने हैं I सतारूढ़ दलों के विधायक रहे हैं I यहाँ के अब तक निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का चरित्र अपना विकास और विकास के पैसे का वारा न्यारा करना और भ्रष्ट सिस्टम के लुट तंत्र में पार्टनर बन जाना और जन समस्यायों के प्रति उपेक्षा और उदासीनता बरतना देखा गया है I यहाँ बाहरी लोगों का जनप्रतिनिधि के रूप में चुनकर आना भी बक्सर के विकास में सबसे बड़ा बाधा रहा है क्योंकि उनका इस क्षेत्र से भावनात्मक जुडाव से इतर व्यावसायिक जुडाव होता है क्योकि राजनीती अब तो पुर्णतः व्यवसाय हो गया है और तथाकथित समाज सेवा के लिए राजनीती और चुनाव लड़ने वाले महज चुनाव जीतकर लुट तंत्र का हिस्सा बन जाते हैं और जनता से अपने वायदों को पूरा करने का सरोकार से बिमुख हो जाते हैं I यहाँ के जन प्रतिनिधि बैंकों के स्वयं कर्जदार हैं गबन कर्ता हैं ये बैंको से जनता के लिए किसानों बेरोजगारों व्यवसायियों के लिए कर्ज दिलाने की क्या बात करेंगे I यहाँ कृषि आधारित उद्योग कई लघु मध्यम यहाँ तक कि बड़े उद्योग खोलने की संभावनाएं कम नहीं है फिर भी जन प्रतिनिधियों की उदासीनता और राज्य सरकार की उपेक्षा पूर्ण निति के कारण कुछ नहीं हो रहा है I यहाँ के ग्रामीण और शहरी लोगों का जीवन स्तर में क्रांतिकारी बदलाव और विकास लाने की इमानदार कोशिस किसी ने नहीं किया I किसानों को अपने उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए एवं उन्हें बाजार उपलब्ध कराने का सार्थक प्रयास नहीं हुआ है जिससे कि उनकी आर्थिक दशा में सकारात्मक परिवर्तन हो सके I
बक्सर के जनप्रतिनिधि कभी भी अपने क्षेत्र के विकास के प्रति सजग नहीं रहे I बक्सर जैसा छोटा परन्तु ऐतीहासिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर आज भी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित है I शहर के अनेकों मोहल्ले आज भी पक्की नली गली जैसी सुविधाओं से वंचित है I किसी तरह अनियोजित तरीके से शहर का विकास भगवान् भरोसे हो रहा है मोहल्लों में नए नए आलिशान बिल्डिंग बन रहे हैं लेकिन उचित जल निकासी की समस्याओं से कई मुहल्ले के लोग बरसात के अवाले यहाँ तक कि जाड़े गर्मी के दिनों में भी जल जमाव से पीड़ित हैं I कचड़ा प्रवंधन की अब तक योजना वध कार्यक्रमों का क्रियान्वयन नहीं हुआ है I शहर में गंगा के किनारे कई घाट भी राम भरोसे है और शहर में सार्वजानिक शौचालयों मूत्रालयों के आभाव में लोग सडकों पर शौंच और मूत्र उत्सर्जन करते हैं जिससे आने जाने में मुहल्ले वासियों को बाहर से शहर में आने जाने वाले श्रधालुओं को सड़ांध महशुस होता है I शहर से होकर जो नहर बड़े नाले गंगा में मिल्रते हैं अगर जल निकासी के लिए जल ट्रीटमेंट प्लांट के साथ उपयोग किया जाय तो मुहल्लों में जल जमाव की समस्याएं ख़त्म हो जाये I बक्सर जहाँ कि गंगा किनारे लोग दाह संस्कार करने आते हैं अब तक विद्धुत शवदाह गृह नहीं बन पाया है जबकि भारत सरकार निर्मल गंगा और स्वक्षता अभियान में अरबों रुपया प्रतिवर्ष खर्च करती है I कई ऐतिहासिक अवशेष गंगा कटाव की चपेट में आये हैं जिनका संरक्षण और बचाव के प्रति सरकार और जिला प्रशासन उदासीन है I बक्सर रेलवे स्टेशन का भी अब तक आधुनिकीकरण नहीं हुआ है जबकि बक्सर राज्य का प्रमुख धार्मिक टूरिस्ट प्लेस है I रामायण सर्किट के अंतर्गत रेलवे को बक्सर स्टेशन का आधुनिकीकरण करना चाहिए I और रेलवे स्टेशन को रामलीला की कलाकृतियों से सुसज्जित करना चाहिए I आज अयोध्या में रामजन्म भूमि पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के भब्य मंदिर निर्माण के लिए आन्दोलन हो रहा है हजारों लोगों की जान गई इसके चलते अरबो रुपये बेवजह बर्बाद हुवे देश का सामाजिक सद्भावना तार तार हुआ I ईमानदारी से कहा जाय तो सभी राजनितिक पार्टियाँ अपनी अपनी राजनितिक रोटी सेंक रही है कोई मंदिर का निर्माण सद्भावना पूर्ण तरीके से नहीं करना चाहता है I धर्म के बीच राजनितिक वोट बैंक के दावपेंच में रामलला नाहक बदनाम हो रहे है I जबकि बक्सर ने श्रीराम को पहचान दिया श्रीराम कीई शिक्षा दीक्षा हुआ उनकी कर्मभूमि बना अपना पौरुष दिखलाकर श्रीराम सनातन संस्कृति के नायक कहलाये I इसी बिहार के सीतामढ़ी में जनक नंदनी का जन्म हुआ विदेह नंदनी राजा जनक का जनकपुर यही है I इसलिए पहले श्रीराम की कर्मभूमि जहाँ के सभी स्थल निर्विवादित हैं वहां से हीं श्रीराम सर्किट का भब्य आकर्षक दश्नीय रमणीय विकास होना चाहिए I
बक्सर के सभी दर्शनीय स्थानों ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों का समुचित विकास कर उनके ऐतिहासिक कृति के पहचान को कायम रखने की जरुरत है I इन्द्रपुरी सोन कनाल बक्सर मुख्य नहर एवं इसके वितरणी नहर एवं करहा आहार पोखर नलकूप जल संग्रहणी का समुचित देख रेख के आभाव में यह कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का क्षेत्र आज दूरदर्शी जनप्रतिनिधि एवं नेत्रित्व की बाँट खोज रहा है I
यहाँ के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बक्सर या बनारस जाते हैं क्योंकि आधुनिक चिकित्सीय सुविधा ठीक से उपलब्ध नहीं है I शिक्षा के क्षेत्र भी कमोवेश वहीँ स्थिति है उच्च शिक्षा के मानक के अनुसार आधुनिक संसाधन एवं मुलभुत सुविधा नहीं है I अभी भी कई सरकारी विद्यालय महाविद्यालय आधारभूत संरचनाओं से मरहूम हैं और उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से बंचित है I
बक्सर विगत कई वर्षों से बढती हुई अपराधिक वारदातों के लिए राज्य में चर्चित हुआ है I अपराध दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं I महिलाओं की इज्जत आबरू सुरक्षित नहीं है I दिन दहाड़े कई हत्याएं आम बात हो गई है जिसपर गंभीरता के साथ अंकुश लगाने की जरुरत है I उत्तर प्रदेश से सटे होने के कारण शराब का अवैध व्यापार होता है नशा का अवैध व्यापार होता है जिसके चपेट में कई युवा जिंदगियां बर्बाद हो रही है I नशे की आदि हो रहे हैं और इसके लिए अपराध कर करा रहे हैं I
मेरा मानना है कि केंद्र एवं राज्य सरकार को साथ ही साथ स्थानीय प्रशासन को यहाँ की जनता से सीधे संवाद कर उनके विचार जानकार जनोन्मुखी योजनाओं को बनाकर ईमानदारी से उसपर अमल करने की जरुरत है जिससे कि बक्सर का सर्वांगीण विकास हो सके और हमारा बक्सर विश्व मानचित्र पर विकसित बक्सर के रूप में प्रतिष्ठापित हो सके I