मधुप मणि “पिक्कू”
पटना। राजनितिक क्षेत्र में बिहार का नाम आये और दबंग राजनितिज्ञों का नाम न आये ये सम्भव नहीं है। देश में राजनितिक चर्चा में बिहार की राजनितिक अपनी अलग छाप छोड़ती है। यहाँ राजनेता बोलते हीं एक दबंग छवि खुद ब खुद बन जाती है। लोकनायक और कर्पूरी ठाकुर के इस राज्य में कई ऐसे राजनेता हैं जो दबंग होने के साथ-साथ अपने क्षेत्रों में जनता के बीच भी अच्छी पकड़ बनाये हुए हैं। इन सभी के बीच एक नाम आता है दबंग सांसद प्रभुनाथ सिंह का। प्रभुनाथ सिंह बिहार के एक दबंग नेता हैं। उनकी दबंगई की कहानियां कई हैं और छवि कुछ ऐसी कि वे जिस पार्टी में रहते हैं, उसके हाईकमान की भी नहीं सुनते, और करते हैं वहीं जो उनके मन को भाये।. बिहार में उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। दबंग छवि के बावजूद उनके क्षेत्र की जनता के बीच उनकी पकड़ काफी मजबूत थी। वे भले हीं किसी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हों पर निर्णय उनके व्यक्तिगत नाम पर होता था।
वैसे बिहार की राजनीति में दबंगों का वर्चस्व के कई किस्से हैं। राजद नेता प्रभुनाथ सिंह और सीवान में बाहुबली पूर्व राजद सांसद मो. शहाबुद्दीन से उनकी अदावत जग-जाहिर रही है। सारण इलाके की राजनीति करने वाले प्रभुनाथ सिंह ने राजनीति में बाहुबल खूब दिखाया है. उनकी छवि ऐसे नेता कि रही है, जो शहाबुद्दीन से भी भीड़ जाया करते थे। जब वे महाराजगंज से वे जदयू के टिकट पर सांसद बने थे तब इस दौरान वर्चस्व को लेकर उनका सामना शहाबुद्दीन से हुआ। दोनों को एक-दूसरे के दुश्मन के रूप में देखा जाने लगा। हालांकि आज दोनों एक ही पार्टी राजद में हैं और अब वे बीते जमाने की बात है। गुरुवार को हजारीबाग की अदालत के फैसले के बाद प्रभुनाथ की गिरफ्तारी लालू प्रसाद की व्यक्तिगत क्षति बताई जा रही है।
प्रभुनाथ सिंह ने सीवान के महाराजगंज संसदीय सीट से 2004 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। पहले जनता दल, फिर जदयू से जुड़कर वे लगातार महाराजगंज की राजनीति में सक्रिय रहे। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में राजद के प्रत्याशी उमाशंकर सिंह ने प्रभुनाथ को तीन हजार वोटों से हरा दिया था। आगे 2012 में वे जदयू से अलग होकर राजद में शामिल हो गए।
2009 लोकसभा चुनाव में महाराजगंज से जदयू उम्मीदवार के रूप में उन्होंने नामांकन किया था. उसके लिए पेश हलफनामे में उन्होंने खुद पर दर्ज मामलों का उल्लेख किया था. तब के हलफनामे के अनुसार, उन पर हत्या से संबंधित दो मामले आइपीसी – 302 के तहत दर्ज था. उनके खिलाफ अपहरण का ममला आइपीसी 363 व आइपीसी 364 भी दर्ज था. हत्या की कोशिश, आइपीसी 307 व आपराधिक साजिश रचने 120 बी, गलत सूचना देने सहित अन्य मामले उन पर तब के हलफनामे के अनुसार दर्ज थे।