पटना- पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को सूबे के निजी विद्यालयों द्वारा फीस एवं अन्य मदों में वसूली किये जाने के मनमाने रवैये पर लगाम लगाने के लिए बने कानून को तीन महीने की मोहलत प्रदान करते हुए पूरी जानकारी अदालत में प्रस्तुत करने का निर्दश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवम् न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने संदीप कुमार की ओर से दायर लोकहीत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया राज्य सरकार द्वारा निजी विद्यालयों में फीस निर्धारण हेतु एक्ट 2018 बनाया गया है, जो एप्रूवल हेतु लॉ विभाग को भेजा जा रहा है। उसके आते ही विधान सभा को कानून बनाने हेतु भेज दिया जाएगा।
गौरतलब है कि इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि राजधानी पटना सहित सूबे के सभी जिलों में निजी विद्यालयों द्वारा मनमाना तरीके से फीस निर्धरण एवं अन्य मदों में अभिभावकों से भारी भरकम शुल्क की वसूली की जाती है।
अदालत को यह भी ब्याज गया की इतना ही नहीं विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों को स्कूल ड्रेस सहित किताब-कापी भी स्कूल से खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है, क्योंकि निजी प्रकाशकों एवं अन्य सामग्री उपलब्ध कराने वाली एजेंसियों से विद्यालयों को मोटी कमीशन मिलती है। अदालत ने इस मामले में काफी गंभीर रुख दिखाया था।