नेताओं ने हाल नहीं पूछा, पर बिहार की बाढ़ में नंगे पांव लोगों को खाना खिला रही IAS अफसर की पत्नी

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अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट।

बिहार में बाढ़ के बीच सीतामढ़ी के पंचायत सिंहवाहिनी की मुखिया रितु जायसवाल बाढ़ पीड़ितों की हेल्प कर रही हैं। ये पंचायत पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है जिससे अफसर यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में गांववालों को राहत पहुंचाने का काम खुद रितु कर रही हैं। बता दें कि रितु जायसवाल के हसबैंड अरुण कुमार IAS अफसर हैं।रितु ने लिखा कि जैसा कि आप सब जानते हैं कि हमारा पंचायत सिंहवाहिनी पूर्णतः बाढ़ की चपेट में है। हमारा सड़क मार्ग से संपर्क तक बाहरी दुनिया से टूट चुका है। कई स्तर पर हेल्प मांग चुकी लेकिन शायद सरकार के पास राशि नही बची। उन्होंने लिखा कि पिछले दो दिन से सिर्फ आश्वासन ही मिल पाया है। रितु ने लिखा कि बाढ़ के खतरे को भांपते हुए मैंने मुखिया बनते ही सालभर पहले नाव की भी मांग की थी जो 2 महीने पहले आवंटित होने के बाद भी आज तक नही मिली। गांववालों के पास जो भी, जितनी भी खाद्य सामग्री थी, उसे इकट्ठा कर जरूरतमंदों के बीच बांटा जा रहा है। घर से ले कर स्कूल तक राहत शिविर में तब्दील हो चुके हैं।रितु गांव के विकास के काम की खुद निगरानी करती हैं। इसके लिए वह कभी बाइक ड्राइव करती दिखती हैं तो कभी ट्रैक्टर और JCB पर सवार हो जाती हैं। रितु ने बताया कि 1996 में उनकी शादी 1995 बैच के आईएएस (अलायड) अरुण कुमार से हुई है। उन्होंने बताया कि शादी के 15 साल तक जहां हसबैंड की पोस्टिंग होती थी मैं उनके साथ रहती थी। एक बार मैंने पति से कहा कि शादी के इतने साल हो गए है। आज तक ससुराल नहीं गई हूं। एक बार चलना चाहिए। मेरी बात सुन घर से कभी लोग नरकटिया गांव जाने को तैयार हो गए। गांव पहुंचने से कुछ दूर पहले ही कार कीचड़ में फंस गई। कार निकालने की हर कोशिश बेकार होने पर हमलोग बैलगाड़ी पर सवार हुए और आगे बढ़े। कुछ दूर जाते ही बैलगाड़ी भी कीचड़ में फंस गई। इस घटना ने मुझे क्षेत्र के विकास के लिए कुछ करने को प्रेरित किया। रितु ने बताया कि जब वे पहली बार ससुराल आई थी तब से वे यहीं रहने लगी। सबसे पहले उन्होंने गांव की लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया। 2015 में नरकटिया गांव की 12 लड़कियां पहली बार मैट्रिक की परीक्षा पास की। 2016 में सिंहवाहिनी पंचायत से मुखिया पद के लिए रितु चुनाव लड़ी। उनके खिलाफ 32 उम्मीदवार थे। लोगों ने कहा कि तुम हार जाओगी। उन्होंने कहा कि तुम्हारे जाति के मात्र पांच परिवार के लोग हैं। वोट जाति के आधार पर मिलता है। मैं नहीं मानी और मैं जीत गई।150-150 के ग्रुप बनाकर पंचायत के बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा रहा है। पढ़ाने वाली गांव की ही लड़कियां हैं। पहले मैंने 20 लड़कियों को ट्रेंड किया था। अकेले लोगों को जागरूक करना संभव न था। इसके बाद कम्प्यूटर ट्रेनिंग दिलाई। ये सब बच्चों को कम्प्यूटर सिखा रही हैं। कई लड़कियां महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई सिखा रही हैं। इसके लिए सरकार से लेकर एनजीओ तक का सहयोग लिया जा रहा है। गौरतलब है कि रितु को उच्च शिक्षित मुखिया का अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके साथ ही उन्हें पंचायत के विकास के लिए भी कई अवॉर्ड मिले हैं।

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