पटना 18 मई । बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति और वरिष्ठ भाजपा नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि भारत सरकार की योजनाओं को समेट कर सात निश्चय’ नामकरण करना नीतीश कुमार को महंगा पड़ा। इसके दो निश्चय पर पटना हाईकोर्ट का फैसला राज्य सरकार के लिए एक सबक है। इससे भी सीख लेकर राज्य सरकार केन्द्र की योजनाओं का उल्लेख कर सही तरीके से कार्यान्वयन नहीं करती है तो यह उसकी नादानी ही कही जायेगी।
श्री यादव ने आज यहां कहा कि सात निश्चय का हर घर नल का जल और पक्की गली-नाली योजना भारत सरकार की पुरानी योजना है जिसके कार्यान्वयन के लिए राषि वही देती है । नेशनल रूरल ड्रिकिंग वाटर सप्लाई प्रोग्राम केन्द्र सरकार का है जिसके तहत 60 प्रतिषत राशि भारत सरकार देती है जिसे नीतीश कुमार ने हर घर नल का जल नाम दे दिया है। इसी प्रकार हर घर पक्की गली-नाली योजना प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का नया नामकरण है। यह सपना पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा जिसे साकार करने का संकल्प प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस योजना के लिए भारत सरकार ने 2016-17 में 3000 करोड़ रूपया दिया बिहार सरकार को। इससे पूर्व इस मद में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2014-15 में 1548 करोड़ और 2015-16 में 2781 करोड़ रूपया दिया था । प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत मिली इस राषि में 40 प्रतिषत राशि राज्य सरकार को देनी है।
श्री यादव ने कहा कि पटना हाईकोर्ट में मुखिया संघ की ओर से दायर याचिका में उपरोक्त दोनों योजनाओं में 14वें वित्त आयोग से मिली राशि को खर्च किये जाने की बात कहकर राज्य सरकार की दुराव और छिपाव नीति का भी भंडाफोड़ कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब इन योजनाओं के कार्यान्वयन का अधिकार सीधे पंचायतों के पास चला जायेगा जबकि नीतीश कुमार ने एक सोची समझी राजनीति के तहत सात निश्चय में इस योजना को डालकर वार्ड विकास समिति को सौंपा था। अंततः न्यायालय ने दूध का दूध और पानी का पानी न्याय किया। अब नीतीश कुमार नोचते रहें खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा।