गुरुवार की शाम पटना ग्रामीण के फतुहा से लेकर मोकामा प्रखंड के विभिन्न गंगा घाटों पर चैती छठ महापर्व के अवसर पर भगवान भास्कर को प्रथम यानी संध्या का अर्ध्य दिया गया। अब कार्तिक छठ की तरह ही चैती छठ भी सूबे में अपनी छटा बिखेरने लगा है और दिन प्रतिदिन नए नए व्रती चैती छठ से जुड़ते जा रहे हैं।
इसलिए अब गंगा घाटों जलाशयों अथवा आंगन के कृत्रिम तालाबों में भगवान सूर्य जो प्रत्यक्ष आदि देव और संसार मे ऊर्जा तथा प्रकाश के एक मात्र स्रोत हैं, उनकी आराधना श्रद्धालु ठीक उसी नियम कानून और पवित्रता के साथ करते हैं जैसे कार्तिक मास के महापर्व में। हालांकि गर्मी अधिक पड़ने के कारण व्रती को 36 घण्टे निर्जला रहने के कारण इसमे अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है फिर भी इस महापर्व की आस्था लगातार बढ़ रही है।