आश्चर्य है कि देश पर हुए पाकिस्तानी आतंकी हमलों के बाद पाक अपने खिलाफ सबूत मांगता है तो हिन्दुस्तान के द्वारा किये गये हमलों के बाद पाकिस्तान से ज्यादा इस देश के लोग पाक प्रवक्ता बन कर सबूत मांगते हैं। इस देश के चन्द नेताओं ने युद्ध को फुटबाल और क्रिकेट का मैच समझ लिया है। शायद दिल्ली प्रदेश के आधे मुख्यमत्री को नहीं पता है कि ‘‘चीयर्स लीडर के डांस, हाथ में चिप्स का पैकेट और कोल्ड ड्रिन्क्स लेकर सर्जिकल स्ट्राइक लाईव नहीं दिखाये जाते।’’
जिस सर्जिकल स्ट्राइक पर हमारे देश के कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं क्या उन्हें पाकिस्तान की छटपटाहट नहीं दिख रही है। वहां जिस प्रकार सेना और सरकार के खिलाफ आवाज उठ रही है वह सबूत काफी नहीं है हमारे सैनिकों के द्वारा चलाये गये अभियान के लिये। चीन के द्वारा लगातार की जा रही विरोधाभाष कार्रवाई काफी नहीं है सबूत के लिये। क्यों बेइज्जती कर रहे हो उन सैनिकों की जो उस रात सीमा पार जाते वक्त यह शायद हीं जानते होंगे कि वो लौट कर आयेंगे या नहीं। इस तरह का बयान देने वाले राजनेता न सिर्फ अपनी छवि धूमिल कर रहे हैं बल्कि देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं। एक सिपाही जो अपने परिवार और बाल-बच्चों से दूर एक दुश्मन देश की सीमा पर खड़ा होकर हमलोगों की रक्षा करता है हम उस पर सवाल उठाने की हिम्मत कैसे कर लेते हैं ? चन्द राजनितिक फायदे के लिए हम सेना पर उंगली उठा रहे हैं ये कैसी घटिया मानसिकता है।
सोनिया गांधी, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह यादव चाहे जितना भी केन्द्र सरकार के विरोधी रहे हों पर पाकिस्तान के मसले पर उनका स्टैण्ड काबिले तारिफ रहा है। सभी ने एक साथ केन्द्र सरकार और सेना की कार्रवाई का समर्थन भी किया और तारीफ भी। परन्तु देश के कुछ नेताओं ने तो बेशर्मी में पाकिस्तान के नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया। देश के हित में इस तरह के नापाक बयान देने वाले नेताओं को जिन लोगों ने चुना होगा वह भी आज शर्मिन्दा होंगे। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक की आवश्यकता देश में सीमा पार से ज्यादा सीमा के अन्दर की है।
अगर किसी के बच्चे ने पड़ोसी के बच्चे के साथ मार-पीट कर ली, तो हर अभिभावक अपने बच्चे के साथ खड़ा रहता है चाहे अपना ही बच्चा झूठा क्यों न हो। अगर यह मान लिया जाये कि 1 प्रतिशत यह बात गलत भी है तो इससे पुरे विश्व में अपने देश का पराक्रम बढ़ा है। विश्व का हर देश यह जान गया कि हिन्दुस्तान को ललकारने का प्रयास किया तो अंजाम भूगतने होंगे।
छटपटाहट तभी होती है जब कहीं दर्द हो, सबूत मांगने वाले पाकिस्तान से हीं उनके दर्द और छटपटाहट का सिटी स्कैन रिपोर्ट क्यों नहीं मांग लेते हैं। आज नरेन्द्र मोदी की शख्सियत का मुकाबला करने के लिए देश का माखौल उड़ाना कहीं से भी जायज नहीं है। निश्चित तौर पर पाक पर हुए हमले से देश में पीएम मोदी की छवि एक मजबुत और दमदार शासक के रूप में उभरी है। यही कुछ नेताओं के गले नहीं उतर रहा है।
एकबार नरेन्द्र मोदी के नाम को दिमाग से निकाल कर भारतीय सेना की कार्रवाई को याद करो किसी का सीना 56 इंच का हो ना हो हर हिन्दुस्तानियों का जरूर होगा। हिन्दुस्तान की पुरी जनता भारतीय सेना के साथ हैं, नहीं चाहिये कोई सबूत, नहीं चाहिए कोई विडियो या फोटो। सेना ने अपनी जुबान से कह दिया कि हमने आधा पाकिस्तान जीत लिया है तो कल से भारत का भूगोल-इतिहास दोनो बदल दिया जाये बिना सबूत के। सबूत तो देश की आने वाली पीढ़ी मांगेगी उन सबसे कि क्या वे चन्द लोग हिन्दुस्तान की सरजमीं पर पैदा हुए थें।
मधुप मणि “पिक्कू”