कांग्रेस के नेता हार्दिक पटेल आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. गुजरात हाई कोर्ट ने दंगा भड़काने के मामले में हार्दिक की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हार्दिक को मेहसाणा के विसनगर में दंगा भड़काने के एक मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई है और कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी.
हार्दिक पटेल ने गुजरात हाई कोर्ट में अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी, जिसकी कोर्ट में आज सुनवाई की गई है. कोर्ट में याचिका इसलिए दायर की गई थी, ताकि हार्दिक आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सके. लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए सजा पर रोक लगाने करने से इनकार कर दिया है. सजायाफ्ता होने पर अब हार्दिक के चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई है. हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले पाटीदार नेता गुजरात के जामनगर से चुनाव लड़ने वाले थे.
गुजरात में लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 4 अप्रैल है. हार्दिक पटेल ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर उन्हें हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो वो जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे. कांग्रेस में शामिल होने से चार दिन पहले पटेल ने हाईकोर्ट से आग्रह किया था कि विसनगर के बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय पर तोड़फोड़ और दंगा करने के मामले में मिली सज़ा के ख़िलाफ़ स्थगन आदेश दिया जाए. गौरतलब है कि यह हिंसा 23 जुलाई 2015 को हुई थी जब उनके नेतृत्व में पाटीदारों ने पहली बार रैली की थी
सरकार ने कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर पटेल के ख़िलाफ़ पिछले चार सालों में दर्ज 24 एफआईआर का हवाला दिया. सरकार ने अपने हलफ़नामे में दावा किया कि उन्होंने जो बार-बार अपराध किया है, वह हाईकोर्ट से उन्हें कोर्ट की अवमानना मामले में मिली ज़मानत की शर्तों का उल्लंघन है. सरकार ने कहा कि पिछले अगस्त में जब पटेल ने हाईकोर्ट में अपील की तो कोर्ट ने दोषसिद्धि के ख़िलाफ़ उनके आवेदन पर ग़ौर नहीं किया बल्कि सिर्फ़ उनकी सज़ा को निलंबित किया.