क्यूँ भई ? जय भारत, जय-जय भारत! हाँ जय बिहार, जय-जय बिहार!! इसको साल में बस दो दिन कहने से काम ना चलेगा! ना ना ना ना ऐसे कैसे !
‘हमारा भारत महान’ जिंदाबाद-जिंदाबाद’
ओह नही!! राम नाम सत्य है!
दोनो में से पहले किसको बोले हमको समझ ही नही आ रहा।
राम नाम सत्य तो है ही ‘हमारा भारत महान कह देती हूं’ रात को सपनें में भी अंत में दोनों में से इसी को चुना था मैंने।
‘हमारा भारत महान’
भाई- ‘कुछ चाहिए ?’
‘नही क्यूँ’
‘कुछ बोल रही थी’
‘तुम सो जाओ’
आह महान! कल-परसों भागलपुर में फिरसे हमने एक महान काम किया! अरे-अरे महान काम कैसे नही किया भई!
मर्द हो तो ऐसा कि किसी पर तेजाब उड़ेलते, गर्दन काटते, बंदूक दागते हाथ न काँपे, दर्द न हो! बस वो अपनी बहन- बेटी नही होनी चाहिए बाकी कोई भी चलेगी।।
अरे नही अपनी को छोड़ क्यूँ जाना था किसी के पास! मैंने तो अपनी बिटिया को भी नही छोड़ा था। भूल गए?? छड्डो जी इतनी जल्दी कोई भूल कैसे सकता है।
और वो असिफ़ा! अरे उसको तो एक हाथ से काबू में कर रखा था हमलोगों ने। एक उंगली तक छुड़ा न पायी थी।।
और कल परसो वाली घटना ही लो! अरे यही लड़की जो बैठी है मरी सी, बेबस सी फ़ोटो में! कहा था इसे चुप रहे और हम चारो अपनी मर्दानगी का सबूत देकर बिना हल्ला करवाये चले जाएंगे! नही मानी लड़की! देख लो फिर क्या हश्र हुआ! बना आये ऐसी की भूत भी इसके पास आने से डरेगा! मरने से बच भी गयी तो कोई ताकेगा न सर उठाकर! बड़ी आयी थी खूबसूरती पर गुमान करने वाली! हह! लड़की जात को पंगा न लेना चाहिए मर्दो से, अब समझ आएगी इसे।।
और सुनो हमलोग अगर अपनी मर्दानगी का सबूत देने बैठे न तो बस…..अरसे लग जाएंगे।।
अरे छोड़ो भी!! हाँ अगर रोज़ अपडेट रहना है हमारी मर्दानगी से तो भई कहे देते है ‘पेपर पढ़ते रहना, न्यूज़ देखते रहना!
अपने मुँह अपनी बड़ाई क्या करना, शोभा नही देता।।
मैं भी कितनी बेबकूफ हूँ ‘भारत माता के बेटों की जय तो किया ही नही?’
‘भारत माता के बेटों की जय’
‘मर्द बेटो की जय’
‘जय-जय’
हाँ भई जिंदाबाद भी!!
और हाँ लिखते वक्त तबस्सुम है मेरे चेहरे पर की आपने फिर एक बार अपनी मर्दानगी का सबूत दिया है! ‘मेरे हाथ भी न कांप रहे थे, कहो तो कसम खा लूँ तुम्हारे भगवान को छूकर!!
चंदा ठाकुर, (एक दिन के लिए अमेरिका की राजदूत)
स्वतंत्र समाज सेवी
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